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मानव रत्न थे आचार्य तुलसी: साध्वी सुमनश्री

सिरसा।।।।( सतीश बंसल )  जैन समाज की विदूषी साध्वी सुमनश्री के सानिध्य में सोमवार को तेरापंथी भवन में
विकास महोत्सव मनाया गया जिसका शुभारंभ साध्वी शालीनप्रभा ने तुलसी अष्टकम से किया। इस मौके पर
साध्वी सुमनश्री ने कहा कि तुलसी नाम ही अपने आप में जादूई नाम है। उनके विराट व्यक्तित्व के अनेक रूप थे।

कोई उन्हें देव रूप में तो कोई शक्ति का अवतार मानता था क्योंकि उनका बाह्य सौंदर्यी ही कुछ ऐसा था जैसे स्वामी
रामकृष्ण ने अपनी ऊर्जा स्वामी विवेकानंद में समाहित कर दी वैसे ही आचार्य तुलसी में भी उनके गुरु ने वातसल्य
व करुण का अमृत भर दिया। सही मायने में आचार्य तुसली विकास के शिखर पुरुष और मानवता के ज्ञान रत्न थे।

साध्वी सुरेखा ने आचार्य तुलसी के विराट व्यक्तित्व पर कहा कि उनके काल में धर्मसंघ में साहित्य शिक्षा शोध यात्रा
व दीक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई। अणुव्रत के मंच से नैतिक क्रांति की आवाज अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाई।
शासनसेवी पदम जैन, श्रद्धानिष्ठ श्रावक हनुमानमल गुजरानी, चंपालाल जैन, शांतिलाल गोलछा, सभा के अध्यक्ष
देवेंद्र डागा, पिंकी गोलछा व महामंत्री नीतू गुजरानी ने भी सुंदर विचारों से आचार्य तुलसी का स्मरण किया।