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पृथ्वी शॉ पर बैन से पहले बीसीसीआई को सरकार ने सुनाई थी खरी-खोटी

नई दिल्ली। भारत के युवा क्रिकेटर पृथ्वी शॉ इन दिनों डोपिंग विवाद में फंसने के कारण प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। बीसीसीआई ने उन पर 8 महीने तक का बैन लगाया हुआ है। इसका मतलब यह है कि वह अब 15 नवंबर तक क्रिकेट नहीं खेल सकेंगे। आपको बता दें कि इस मामले के प्रकाश में आने से पहले सरकार ने बीसीसीआई को उसके एंटी डोपिंग सिस्टम के लिए कड़ी फटकार लगाई थी।

इस मामले में खेल मंत्रालय ने बीसीसआई के सीईओ राहुल जौहरी को कड़े शब्दों में पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि बीसीसीआई का एंटी डोपिंग प्रग्राम काफी खामियों भरा है। यह हितों का टकराव भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीसीसीआई यहां खुद टेस्ट भी लेता है और खुद ही सजा भी देता है। गौरतलब हो कि इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि बीसीसीआई को डोप टेस्ट कराने का अधिकार नहीं है।

इसके बावजूद भी पृथ्वी शॉ का डोपिंग टेस्ट बीसीसीआई के जरिए ही हुआ। जानकारी के मुताबिक बीसीसीआई को न तो भारत सरकार और न ही वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी की ओर से अधिकृत किया गया है। खेल मंत्रालय की ओर से जारी किए गए पत्र में कहा गया था कि वाडा के नियमों की धारा 5.2 कहती है कि खिलाड़ियों से सैंपल लेने का अधिकार एटीं डोपिंग संगठन के पास ही होता है। ऐसे में बीसीसीआई ने बिना किसी अधिकार के यह काम किया है।

वहीं इससे उलट बोर्ड का यह कहना है कि नाडा की प्रक्रिया में कई सारी खामियां हैं। इसकी वजह से वह उसके नियम नहीं मानता है। इस वजह से वह उसके नियमों को नहीं मानता है। बीसीसीआई का नाडा से न जुड़ने का विवाद बरसों से चला आ रहा है। देश में बाकी खेलों के खिलाड़ी नाडा के तहत आते हैं लेकिन बीसीसीआई इसके तहत नहीं आना चाहता।