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अपहरण के बाद मासूम की हत्या के तीन दोषियों को फांसी की सजा

 

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बोकारो। बोकारो के अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय जनार्दन सिंह की अदालत ने गुरुवार को 11 साल के अंकित कुमार उर्फ सुधांशु की अपहरण के बाद हत्या के मामले में तीन आरोपितों को दोषी करार देते हुए अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस माना। तीनों दोषी मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। इनमें सारण निवासी विवेक कुमार, जमुई का संजय कुमार रजक और अरवल निवासी संजीव कुमार शामिल हैं। अंकित बिहार के रोहतास जिला के दिनारा थाना के बेलवइयां निवासी अमलेश सिंह का बेटा था। वह अपने मौसा मणी जी सिंह के बोकारो के सेक्टर-4 स्थित घर में रहकर पढ़ाई करता था।

अपर लोक अभियोजक प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अपहरण कर बच्चे की हत्या की घटना वर्ष 2013 में नवंबर महीने की थी। इस मामले में बोकारो के सेक्टर-4 थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। 11 साल के मासूम अंकित उर्फ सुधांशु की निर्मम हत्या को अदालत ने काफी संगीन मामला माना और तीनों को सजा-ए-मौत मुकर्रर की। सेक्टर-4 थाना क्षेत्र में रहने वाले मौसा व डीआईजी कार्यालय में बतौर रीडर कार्यरत मणी जी सिंह ने इस बावत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने दो दिन पहले मंगलवार को तीनों आरोपियों को इस मामले में दोषी करार दिया था। सजा की सुनवाई के लिए 26 सितंबर की तिथि तय की थी।

ट्यूशन जाने के दौरान किया था अगवा

दर्ज प्राथमिकी के अनुसार अंकित 26 नवंबर 2013 को ट्यूशन पढ़ने जा रहा था। उसी दरम्यान सेक्टर- 12 में रहने वाले विवेक कुमार, सेक्टर- 1बी अंबेदकर नगर निवासी संजय कुमार रजक और सेक्टर 3डी के रहने वाले संजीव कुमार ने अगवा कर लिया था। प्राथमिकी में मणी जी सिंह ने कहा था कि सुधांशु ट्यूशन पढ़ने के बाद से घर नहीं लौटा। छानबीन के दौरान चार दिसंबर, 2013 को पुलिस ने विवेक नामक युवक को पकड़ा। पूछताछ में उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। बताया कि अपने साथियों की मदद से फिरौती के लिए उसने अंकित का अपहरण किया था। विवेक के स्वीकारोक्ति बयान और उसकी निशानदेही पर पुलिस ने संजय रजक, संजीव कुमार और एक नाबालिग को गिरफ्तार किया। जब जांच-पड़ताल की गई तो पूरे मामले का खुलासा हो गया। उनलोगों ने मिलकर अंकित की हत्या कर दिये जाने की बात स्वीकारी। मृत छात्र यहां सेक्टर- 4सी में आवास संख्या- 3036 निवासी अपने मौसा एवं डीआईजी कार्यालय के रीडर कमलेश सिंह के घर रहकर पढ़ाई करता था।

20 लाख रुपये की मांगी थी फिरौती

मामले के अपर लोक अभियोजक प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अपराधियों ने 20 लाख रुपये की फिरौती के लिये अंकित का अपहरण किया था। घर वालों से बातचीत के बाद पांच लाख रुपये पर सहमति बनी। परिजनों ने मसौढ़ी के तरेगना में पांच लाख रुपये अपहरर्ताओं को दी थी, लेकिन उनलोगों ने बच्चे को वापस नहीं किया। फिरौती की रकम लेकर कार से बोकारो आने के दौरान रास्ते में पुलिस की चेकिंग के क्रम में कहीं बच्चा हो-हल्ला न करे, इस डर से कलकतिया घाटी में उन सबों ने अंकित की गला दबाकर हत्या कर दी और वही सड़क किनारे लाश, उसके जूते और बैग फेंक दिए थे। हत्या के बाद वे लोग बोकारो वापस गए थे।

कलकतिया घाटी में मिले थे कंकाल, बैग और जूते

विवेक के बाद अन्य शामिल अपराधकर्मियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिसिया छानबीन में हजारीबाग जिला अंतर्गत गोरहर थाना क्षेत्र की कलकतिया घाटी से कंकाल और अंकित के बैग और जूते बरामद किए गए थे। पुलिस ने अंकित के माता-पिता के डीएनए की जांच की और उसके आधार पर अंकित का ही कंकाल होने की पुष्टि हुई।