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थकान, बेचैनी और अनिद्रा से राहत पाने के लिए करें ये अभ्यास…

परिवृत्त जानू शीर्षासन छाती की मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग करने वाला एक योगासन है। योग का कुछ समय से अभ्यास कर रहे लोग परिवृत जानू शीर्षासन का अभ्यास कर सकते हैं।

यह योगासन थोड़ा कठिन है लेकिन जिन्होंने पहले जानू शिर्षासन का अभ्यास किया है ऐसे लोगों के लिए परिवृत्त जानू शीर्षासन का अभ्यास बहुत मुश्किल नहीं होगा। योग एक्सपर्ट महुआ देब बता रही हैं इस आसन के अभ्यास की सही तकनीक और इसे करने के फायदे।

ऐसे करें परिवृत्त जानू शीर्षासन 

बद्धकोणासन से शुरु करें, अपने बाएं पैर को बाहर की तरफ फैलाएं। दाएं पैर को कुछ मोड़कर कुछ इस तरह रखें कि आपके पांव जांघ का अंदरुनी हिस्से के पास हो।

धीरे से सांस छोड़ते हुए बायें ओर से कंधे को ऐसे झुकाएं कि वह घुटनों के पीछे के हिस्से को टच करें, आपकी कोहनी ज़मीन पर हो और हथेली बाएं पैर की एड़ी को छुए।  दाहिने हाथ की बांह को सर के ऊपर ले जाएं ताकि वह बाएं पैर के अंगूठे तक पहुंच सके।

दाहिने पैर की कोहनी ऊपर की तरफ हो और सुविधाजनक स्थिति में आने के बाद अपना सिर छत की तरफ घुमाएं। इस वक़्त आपका धड़ बायें जांघ के पास ले जाने की कोशिश करें, और सर का पिछला हिस्सा बाएं पैर के घुटने को टच करें।

इस स्थिति में 30 सेकंड्स से 1 मिनट तक रहें , उसके बाद अपना धड़ ज़मीन की तरफ घुमाएं और दाहिनी तरफ जितना हो सके उतना नीचे ले जाएं और ऊपर ले जाएं। अब दूसरी तरफ से दोहराएं।

 परिवृत्त जानू शीर्षासन के फायदे

  • यह कंधों, हैमस्ट्रिंग और रीढ़ की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है।
  • यह पेट से जुड़े अंगों, लीवर और किडनी को उत्तेजित करता है।
  • किडनी, लीवर और पेट से जुड़े अंगों को काम करने में मदद करता है।
  • पाचन में मदद करता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह पसलियों और डायाफ्राम मांसपेशियों से तनाव कम करके श्वसन प्रणाली भी ठीक करता है।
  • यह छाती की मांसपेशियों को खोलने का काम करता है।
  • चिंता, थकान और अनिद्रा से राहत प्रदान करता है।
  • सिरदर्द और पीठदर्द से राहत दिलाता है।

सावधानी 

अगर आपको डायरिया की समस्या है तो इस योगासन का अभ्यास न करें। अपनी रीढ़ को न मोड़ें वर्ना इससे हैमस्ट्रिंग और पीठ में तकलीफ हो सकती है।