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क्षमा वीरों का गहना: साध्वी सुमनश्री

सिरसा।।।।।( सतीश बंसल ) जैन समाज की साध्वी शासनश्री सुमनश्री के सानिध्य में गुरुवार को तेरापंथी भवन में पयुर्षण महापर्व आराधना के तहत संवत्सरी महापर्व उत्साह के साथ मनाया गया। शासनश्री ने इस अवसर पर भगवान महावीर के 26 भवों का वर्णन करते हुए नंदीसूत्र का वाचनकर भगवान की अभिवंदना की। उन्होंने बताया कि भगवान महावीर ने संयम का जीवन अपनाते हुए 30 वर्ष की आयु में मुनि दीक्षा ली और नग्रावस्था में घर राजमहल त्याग दिए। उन्होंने करीब 12 वर्ष की घोर तपस्या, मौन साधना, ध्यान किया व उपसर्गों व कष्टों को सहनकर केवल ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने 24वें तीर्थंकर बनकर अपनी अमृतदेशना से अनेक आत्माओं व प्राणियों का उद्धार कर मोक्षगामी बनाया। उन्होंने कहा कि संवत्सरी महापर्व विश्व का आलौकिक पर्व है जो प्रतिवर्ष भाद्रशुक्ला चतुर्थी को पूरे भारत में मनाया जाता है। आज के दिन सभी श्रावक श्राविकाओं ने उपवास किए हैं।                                                                                आज का दिन आत्मशुद्धि, आत्मालोचन, आत्मनिरीक्षण  व स्वदोष दर्शन का महापर्व है। साध्वी सुरेखा ने सुधर्मा आचार्य व 27 आचार्यों का जीवन वृतांत बताया। साध्वी मधुरलता ने संवत्सरी पर्व पर संगान किया और आचार्य महाश्रमण जी के जीवन का स्वर्णिम इतिहास बताया। साध्वी शालीनप्रभा ने भगवान महावीर के 11 गणधरों की जीवनगाथा विस्तार से बताई। बाद में शासनश्री के सानिध्य में पूरे तेरापंथ समाज की उपस्थिति में क्षमा व मैत्री पर्व भी मनाया। शासनश्री ने कहा कि क्षमा वीरों का गहना है और सभी को एक दूसरे से मैत्री का व्यवहार करना चाहिए। कार्यक्रम में शासनसेवी पदम जैन, श्रद्धानिष्ठ श्रावक हनुमानमल गुजरानी, हरियाणा प्रातीय सभा ध्यक्ष मक्खनलाल गोयल, स्थानीय तेरापंथी सभाध्यक्ष देवेंद्र डागा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष चंपालाल जैन, तेयुप अध्यक्ष आनंद सुराणा, महिला मंडल अध्यक्ष सुमन गुजरानी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष रविंद्र गोयल, शांतिलाल गोलछा व राजेश पुगलिया आदि जैन समाज के गणमान्य उपस्थित थे।

ंसिरसा, 1 सितंबर