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इमरजेंसी को लेकर अरुण जेटली ने हिटलर से की इंदिरा गांधी की तुलना

प्रत्येक वर्ष 25 जून को देश का काला अध्याय के रूप में याद किया जाता है. साल 1975 में इसस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था. वहीं अब सत्ता पर काबिज मोदी सरकार ने इस दिन को ब्लैक डे के रूप में मनाने का ऐलान किया है.पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस दिन देशभर में काला दिवस मनाया जाएगा. कई केंद्रीय मंत्री देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित काला दिवस में शिरकत करेंगे.

25 जून को भारत मे ंलगी थी इमरजेंसी

आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है. 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्ट तरीके अपनाने के आरोप में रायबरेली से इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था. इससे नाराज तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश पर आपातकाल लागू कर दिया था. लाखों लोगों के साथ हजारों नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेलों में ठूंस दिया गया. प्रेस सेंसरशिप लागू कर दी गई.

जेटली ने इंदिरा की हिटलर से कर दी तुलना

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 25 जून 1975 में इंदिरा गांधी के शासन काल में लागू किए गए आपातकाल को याद करते हुए छह पन्नों का एक लेख लिखा है.इमरजेंसी रिविजेटेड पार्ट टू में वित्त मंत्री ने इसे द टयरानी ऑफ इमरजेंसी (आपातकाल का अत्याचार) का नाम दिया है.

इंदिरा के आपातकाल की तुलना उन्होंने जर्मनी के क्रूर तानाशाह हिटलर से करते हुए लिखा है कि दोनों ने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए संविधान का उपयोग किया. उन्होंने अपने छह पन्नों के खत में लिखा है कि इंदिरा गांधी ने मूलभूत अधिकारों का हनन करते हुए आपातकाल लागू किया था. 26 जून 1975 को इंदिरा ने आर्टिकल 359 के अंतर्गत जनता के अधिकारों को आपातकाल की आड़ में दबा दिया था.

संजय गांधी ने साधा निशाना

देश में उस दौरान डर और खौफ का माहौल था. विपक्षी पार्टियों के नेता इंदिरा के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे विरोध प्रदशर्न धरना प्रदर्शन चल रहा था. उन्होंने लिखा कि वह खुद एक हफ्ते के लिए जेल में बंद किए गए थे. अरुण जेटली ने इस खत में संजय गांधी पर भी सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि जो आदमी तानाशाही और राजनीति के अंतर नहीं समझ पाया. उसने गरीबों पर जुल्म ढाए, नसबंदी कराई. उनके अंग्रेजी में लिखे पत्र में दो पंक्तियां हिंदी में लिखी हैं- ‘दाद देता हूं मैं मर्द-ए-हिंदुस्तान की, सर कटा सकते हैं लेकिन नस कटा सकते नहीं. ‘