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अयोध्या केस : मुस्लिम पक्ष ने पीडब्ल्यूडी दस्तावेज के आधार पर किया बाबरी मस्जिद का दावा

 

 

नई दिल्ली। राम जन्मभूमि के स्वामित्व विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को 23वें दिन की सुनवाई पूरी हो गई। सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी और राजीव धवन ने अपनी दलीलें पेश कीं। धवन ने रामलला और जन्मस्थान के नाम पर दाखिल याचिका का विरोध करते हुए कहा कि किसी को भी देवता के नाम पर केस दाखिल करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। ऐसे तो मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी।

वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि 1885 में निर्मोही अखाड़ा ने जब कोर्ट में याचिका दायर की थी तो उन्होंने अपनी याचिका में विवादित जमीन के पश्चिमी सीमा पर मस्जिद होने की बात कही थी। यह हिस्सा अब विवादित जमीन का भीतरी आंगन के नाम से जाना जाता है। निर्मोही अखाड़ा ने 1942 के अपने मुकदमे में भी मस्जिद का जिक्र किया है। इसमें उन्होंने तीन गुम्बद वाले ढांचे को मस्जिद स्वीकार किया था।

जिलानी ने पीडब्ल्यूडी की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि 1934 के सांप्रदायिक दंगों में मस्जिद के एक हिस्से को कथित रूप से क्षतिग्रस्त किया गया था और पीडब्ल्यूडी ने उसका मरम्मत कराया था। जिलानी ने बाबरी मस्जिद में 1945-46 में तरावीह की नमाज पढ़ाने वाले हाफ़िज़ के बयान का ज़िक्र किया। जिलानी ने एक गवाह का बयान पढ़ते हुए कहा कि उसने 1939 में मगरिब की नमाज बाबरी मस्जिद में पढ़ी थी। जिलानी ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के गवाहों के बयान पर यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि 1934 के बाद भी विवादित स्थल पर नमाज पढ़ी गई। हिन्दू पक्ष की तरफ से जिरह के दौरान यह दलील दी गई थी कि 1934 के बाद विवादित स्थल पर नमाज नहीं पढ़ी गई।

विगत 12 सितम्बर को राजीव धवन ने कहा था कि सुनवाई के लिए सही माहौल नहीं। उत्तरप्रदेश के एक मंत्री कहते हैं कि अयोध्या की ज़मीन हमारी है, सुप्रीम कोर्ट भी हमारा है। राजीव धवन उत्तर प्रदेश के मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के बयान का हवाला दे रहे थे। उन्होंने कहा था, “मैं बार-बार अवमानना याचिका दाखिल नहीं कर सकता। मेरे दफ्तर के क्लर्क को दूसरे क्लर्क ने धमकी दी है। तब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि हम कोर्ट के बाहर इस तरह के व्यवहार की आलोचना करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। कोर्ट में दोनों पक्ष बिना किसी डर के जिरह कर सकते हैं।” कोर्ट ने धवन से पूछा था कि आपको सुरक्षा चाहिए तब धवन ने इनकार किया। धवन ने कहा था कि सुरक्षा की ज़रूरत नहीं। आपकी ये टिप्पणी ही आश्वस्त करती है।

गौरतलब है कि राम जन्मभूमि के स्वामित्व विवाद मामले की सुनवायी सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच कर रही है। बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नजीर शामिल हैं। इस मामले में हिंदू पक्ष की दलीलें पहले ही पूरी हो चुकी हैं।