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सिटिज़न जर्नलिस्ट:सिर्फ़ राजधानी ही नहीं विकास से भी कोसों दूर है ये ग्राम पंचायत

बलरामपुर/हर्रैया सतघरवा/धर्मेन्द्र |
  • विकास के असली स्वरूप को देखना हो तो विकास खंड हर्रैया सतघरवा के ग्राम पंचायत बनघुसरी के मजरे ठढक्की में आइये।।
  • जंहा आज भी लोग सड़क पानी व बिजली जैसी मूलभूत समस्याओ से जूझ रहे है
  • गांधी जी ने कहा था कि “असली भारत गांवो में बसता है” !
  • आइये हम आपको इक्कीसवीं सदी के असली भारत की कुछ तस्वीरें दिखाते है जिन्हें देखकर आपको खुद एहसास हो जाएगा कि क्या हम वास्तव में इक्कीसवीं सदी के भारत मे है.
  • ये कुछ तस्वीरें बलरामपुर जनपद के विकासखंड हर्रैया सतघरवा के ग्राम पंचायत बंघुसरी के मजरे ठढक्की की हैं.जंहा पर पिछले बरसात में  मुख्य मार्ग से गांव को जोड़ने वाली सड़क बाढ़ में बह गई थी। जो कि आज एक साल बीत जाने पर भी जस की तस पड़ी है।
  • गांव वालों को मुख्य मार्ग तक आने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। गड्ढो में तब्दील हुई सड़के चिल्ला चिल्ला कर विकास की गाथा गा रही है।
  • सड़को में बने बीस बीस फिट के गड्ढो से विकास चीख चीख के रो रहा है लेकिन उसके रोने व चीखने की आवाज मताहतो तक नही पहुंच रही है। विकास खंड का यह गांव बरसात में टापू की तरह नजर आता है। बाढ़ का पानी गांव को चारों तरफ से घेर लेता है गांव से बाहर  मुख्य मार्ग तक पहुचने का कोई साबित रास्ता नही बचता है।
  • गांव से उत्तर की तरफ एक सड़क है जो गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ती है,वह सड़क पिछले साल की बाढ़ रूपी विभीषिका की  शिकार हो गयी। पूरी सड़क बाढ़ में बह गई।। सड़क बीस बीस फिट गहरे गड्ढो में तब्दील हो गयी।
  • सड़क की यह दुर्दशा हुए साल भर हुए जा रहे है लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि व अधिकारी इनकी इस समस्या को देखना मुनासिब नही समझ रहा।।
  • जंहा एक तरफ हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी देश को डिजिटल , स्वस्थ, स्वच्छ व विकसित करने में प्रयाशरत है वंही ये  भारत के गांवों की तस्वीर सभी विकास के दावों को खोखला साबित करने के लिए काफी है।
  • क्या इसी विकास के दम पर हम भारत को डिजिटल बनाएंगे ?
  • क्या इसी विकास के बल बूते जनप्रतिनिधि दुबारा चुनाव मैदान में आएंगे ?
  • फिंर बरसात आने वाली है आखिर कैसे निकलेंगे गांव वाले,इस बात की सोच न वर्तमान विधायक को है न सांसद को है और न ही आला अधिकारियों को है।
  • आजादी के बाद से आज तक गांव को विधुत की अपूर्ति  भी नसीब नही हुई|
  • आज सोशल मीडिया व विभिन्न माध्यमो से विकास के बड़े बड़े दावे किए जा रहे है लेकिन ये दावे यंहा के गांव वालों के लिए मात्र छलावे ही साबित हो रहे है।
  • न जाने कब हमारे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के आंखों पर बंधी पट्टी खुलेगी,जब इनको इस गांव की दुर्दशा दिखाई देगी।