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ईश्वर से मिलना चाहते हैं, तो जल्द त्यागें मन से यह भाव

एक बार धार्मिक यात्रा पर गुरु नानक देव जी बनारस गए। उन्होंने गेरुए रंग के वस्त्र, पांव में जूती, सिर पर टोपी, गले में माला और केसर का तिलक लगाए हुए थे। लोगों ने सोचा दूर देश से कोई महात्मा आए हैं। इसलिए काफी लोग उनके आस-पास एकत्र हो गए।gurunanakjayanti_14_11_2016

तब वह लोग एक पंडित को बुला लाए। काशी के पंडित ने कहा, महाराज हम रोज वेद-शास्त्र पढ़ते हैं, लेकिन मन से अहंकार जाता ही नहीं। तब गुरु नानक जी ने कहा, मन के अंदर जो बुराइयां मौजूद हैं। उन्हें त्याग दो बस आपका अहंकार चला जाएगा।

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वेद-शास्त्र पढ़ने के बाद उनके सार को यदि जीवन में भी उतारोगे तो मन में अहंकार कभी नहीं आएगा। गुरु नानक जी ने उस पंडित को यह बात काफी विस्तार से बताईं। उन्होंने आगे कहा, जैसे नाव पर बैठकर नदी पार की जाती है। ठीक ज्ञान और भक्ति से इस संसार में ईश्वर के निकट जाया जा सकता है।

संक्षेप में

ईश्वर को पाना इतना आसान नहीं है। क्योंकि उनकी शरण में जाने से पहले अहंकार को पूरी तरह से त्यागना पड़ता है।

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