गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करके उनकी पूजा प्रारंभ की जाती है। 9 दिन तक चलने वाली यह पूजा भारत तथा विदेशों में गणेश भक्तों के लिए एक उत्सव जैसा है। ठीक दसवें दिन विधि विधान से गणेश जी की प्रतिमा विसर्जित की जाती है। किसी भी पूजा या अनुष्ठान का आरंभ इन्हीं की पूजा से होता है। महाराष्ट्र में तो यह पर्व एक महान उत्सव की तरह पूरी श्रद्धा से मनाया जाता है।
गणेश जी का यह जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी के रूप में भक्तों को धन, धान्य तथा मनोवांछित फल प्रदान करता है। व्यवसाय में उन्नति, करियर में सफलता, शिक्षा में उन्नति तथा आरोग्यता के लिए यह व्रत अमृत के समान है। इस बार गणेश चतुर्थी 02 सितंबर यानि की आज मनाई जा रही है।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त-
- दिनांक 2 सितंबर को दोपहर में 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 36 मिनट तक रहेगा
- चतुर्थी तिथि का एक मुहूर्त प्रातः 04:57 से प्रारम्भ होगा
- पारण-दिनांक 3 सितंबर को रात्रि 01:52 तक रहेगा
गणेश चतुर्थी पूजा विधि-
- इस दिन गणेश जी की प्रतिमा घर पर लाइए।
- कुमकुम, रोली, पुष्प इत्यादि से रंगोली बना लें।
- लकड़ी का पीढ़ा या उचित आसन देकर उनके बैठाया जाता है।
- शुभ समय में गणेश प्रतिमा वैदिक रीति रिवाजों से मंत्रोचारण के बीच स्थापित की जाती है।
- अब इनको भोग लगेगा। भोग में मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय है।
- दूर्वा, मिठाई, पुष्प, अपराजिता तथा वस्त्र रखकर शास्त्रवत पूजन आरम्भ करते हैं।
- अब गणेश जी की स्तुति की जाती है।
- लोग समूह में बैठकर गीत तथा संगीत से गणेश जी की भक्ति गीत गाते हैं। लोग नृत्य से भी भगवान को प्रसन्न करते हैं।
- सुबह शाम विधिवत पूजा तथा अंत में आरती की जाती है।
- प्रसाद का नित्य वितरण होता है।
- गणेश जी को पीला तथा लाल रंग बहुत प्रिय है। इसी रंग की धोती पहनाई जाती है।
- गणेश चतुर्थी के दिन लोग इनके नामों का जप भी करते हैं।