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मकर सक्रांति पर क्यों खाते हैं खिचड़ी, जानिए इससे जुड़ी कहानी…

भारत में खिचड़ी एक ऐसा पकवान है जिसके नाम पर कोई त्यौहार मनाया जाता है। यूपी के कई हिस्सों में नहान के साथ खिचड़ी खाई जाती है। वैसे तो खिचड़ी एक ऐसा पकवान है जिसे हर कोई जानता है और खाया है। खासतौर से तबियत खराब होने पर तेजी से पचने वाला भोजन हैं। अक्सर बीमारी में खिचड़ी का सेवन किया जाता है। वहीं छोटे बच्चों को भी पूर्ण आहार के तौर पर खिचड़ी दी जाती है। ऐसे में इसे किसी खास मौके पर खाना, हर किसी के मन में सला पैदा करता है। आएये जानते हैं कि क्यों खाई और मनाई जाती है खिचड़ी ?

खिचड़ी को खाने के पीछे सेहत का जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि सर्दियों के बाद बसंत आता है। एक मौसम से दूसरे में जाने के लिए शरीर को एक तरह की गर्माहट की जरुरत होती है। शरीर के अंदर की गर्मी बनाए रखने के लिए खिचड़ी खाई जाती है। खिचड़ी में प्रयोग होने वाले नए चावल के साथ, उड़द की दाल, अदरक, कई तरह की सब्जियों का प्रयोग किया जाता है, जिससे इसकी तासीर गर्म होती है।

इसकी पीछे एक कहानी भी जुड़ी है कहा जाता है जब खिलजी ने आक्रमण किया तब नागा साधुओं के पास खाना बनाने का समय नहीं होता था इसलिए जल्दी बनने वाले पकवानों में खिचड़ी सबसे बेहतर विकल्प थी तभी से इसे बनाया जाने लगा। कहा जाता है कि बाबा गोरखनाथ ने तुरंत ही दाल, चावल और सब्जियों को मिलाकर एक व्यंजन तैयार किया, खिचड़ी नाम दिया गया। इस वजह से गोरखपुर में हर साल गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति पर खिचड़ी का मेला लगता है।

इस दिन खिचड़ी के साथ तिल और गुड़ का भी सेवन किया जाता है। तिल मेंतेल का मात्रा ज्यादा होती है और गुड़ में गर्माहट होती है जोकि सर्दियों में चलने वाली शीतलहर से बचाने के लिए शरीर को गर्माहट देता था। इसलिए इस दिन खिचड़ी के साथ तिल और गुड़ का भी सेवन किया जाता है।