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इतिहास में क्यों खास है 16 सितंबर? ओजोन परत में छेद प्रकृति की चेतावनी

 

दुनियाभर में आज विश्व ओजोन दिवस मनाया जा रहा है। पृथ्वी के चारों तरफ निर्मित ओजोन परत के संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 16 सितम्बर को ओजोन दिवस मनाया जाता है।

ओजोन परत ओजोन अणुओं की एक परत है जो विशेष रूप से 20 से 40 किलोमीटर के बीच के वायुमंडल में पाई जाती है। ओजोन परत के बिना पृथ्वी पर जीवन संकट में पड़ जाएगा। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने के कारण सर्दियों की तुलना में अधिक गर्मी होती है और सर्दियां अनियमित हो जाती है।

पहली बार विश्व ओजोन दिवस कब मनाया गया

पहली बार विश्व ओजोन दिवस साल 1995 में मनाया गया था। यह दिवस जनता के बारे में पर्यावरण के महत्व तथा इसे सुरक्षित रखने के अहम साधनों के बारे में शिक्षित करता है। इसे मनाने का उद्देश्य धरती पर ओजोन की परत का संरक्षण करना है।

प्राकृतिक चीजों से मानव का खिलवाड़

प्राकृतिक चीजों से मानव का खिलवाड़ लम्बे समय से चल रहा है। एक समय यह माना जाता था कि हम प्रकृति का चाहे जितना दोहन करें उसकी कोई सीमा नहीं है। पूरे विश्व में आबादी के बढ़ने से उसकी जरूरतें भी बढ़ीं। जिसके फलस्वरूप औद्योगीकरण शुरू हुआ।

एक समय तक मानव समाज यह सोचता था कि प्रकृति हर तरह से खतरनाक गैसों, रासायनिक अपशिष्ट आदि को अपने दामन में पचा लेती है। इसके साथ ही यह धारणा भी थी कि हम अपने आसपास के वातावरण को ठीक रखेंगे तो हमारे देश में सब कुछ ठीक रहेगा। लेकिन बात इतनी नहीं है। विकसित देशों के उद्योग और कल-कारखानों से एक दिन में जितना खतरनाक गैस और रासायनिक अपशिष्ट निकलता है वह हमारे वायुमण्डल एवं भूजल को तबाह करने के लिये पर्याप्त है।

यह बात सही है कि इसका असर तुरन्त दूसरे जगह नहीं होगी। लेकिन यदि हम प्रकृति के संकेत को समझ कर नहीं चेते तो प्रकृति के साथ किये जा रहे छेड़छाड़ की कीमत पूरे मानवता को चुकानी होगी। ओजोन के परत में छेद ने इसका संकेत दे दिया है। एक अनुमान के मुताबिक ओजोन परत में छिद्र का आकार यूरोप के आकार के बराबर हो गया है। ओजोन परत के संरक्षण को लेकर विश्व स्तर पर शुरू हुई पहल का असर भी हो रहा है। लेकिन यह काफी नहीं है।

खुद ही ओजोन परत मिटाने में लगे हैं लोग

धरती पर जीवन को पनपने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। जो चीज इंसान को कड़ी मेहनत और प्रकृति से फलस्वरूप मिली है उसे आज खुद इंसान ही मिटाने पर लगा हुआ है। लगातार प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप कर इंसान ने खुद को प्रकृति के सामने ला खड़ा किया है जहां प्रकृति उसका विनाश कर सकती है। जंगलों, वनों की कटाई कर असंतुलन पैदा किया जा रहा है। गाड़ियों ने हवा को प्रदूषित कर कर दिया है तो वहीं उस जल को भी इंसान ने नहीं बख्शा जिसकी वजह से धरती पर जीवन संचालित होता है।

ओज़ोन एवं ओजोन परत

ओज़ोन एक हल्के नीले रंग की गैस होती है जो आक्सीजन के तीन परमाणुओं (O3) का यौगिक है। ओज़ोन परत सामान्यत: धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती है। यह गैस सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर का काम करती है। सूर्य से निकलने वाली खतरनाक किरणों से ओज़ोन परत हमें बचाती है, मगर जहरीली गैसों से ओज़ोन परत में एक छेद हो गया है और अब इस छेद को भरने के प्रयास हो रहे हैं।

यह जहरीली गैसें हम इंसानों द्वारा एसी और कूलर जैसे उत्पादों में इस्तेमाल होती हैं। यही नहीं, सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड भी ओज़ोन की मात्रा को कम करने में मदद करती है। ओज़ोन की परत विशेष तौर से ध्रुवीय वातावरण में बहुत कम हो गई है। ओज़ोन परत का एक छिद्र अंटार्कटिका के ऊपर स्थित है।

पराबैगनी किरणों से नुकसान

आमतौर पर ये पराबैगनी किरण (अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन) सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली एक किरण है, जिसमें ऊर्जा ज्यादा होती है। यह ऊर्जा ओज़ोन की परत को नष्ट या पतला कर रही है। इन पराबैगनी किरणों को तीन भागों में बांटा गया है और इसमें से सबसे ज्यादा हानिकारक यूवी-सी 200-280 होती है। ओज़ोन परत हमें उन किरणों से बचाती है, जिनसे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है।

विश्व ओजोन दिवस का इतिहास

ओज़ोन परत के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पिछले दो दशक से इसे बचाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन 23 जनवरी, 1995 को यूनाइटेड नेशन की आम सभा में पूरे विश्व में इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। उस समय लक्ष्य रखा गया कि पूरे विश्व में 2010 तक ओज़ोन फ्रेंडली वातावरण बनाया जाए।

हालांकि अभी भी लक्ष्य दूर है लेकिन ओज़ोन परत बचाने की दिशा में विश्व ने उल्लेखनीय कार्य किया है। ओज़ोन परत को बचाने की कवायद का ही परिणाम है कि आज बाज़ार में ओज़ोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर आदि आ गए हैं। इस परत को बचाने के लिए ज़रूरी है कि फोम के गद्दों का इस्तेमाल न किया जाए। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो।

32 years and Healing’

हर साल ओजोन लेयर के संरक्षण के लिए एक अलग थीम तैयार करके लोगों को इसके महत्व के बारे में जानकारी दी जाती है। इस साल यानी विश्व ओजोन दिवस 2019 की थीम ’32 years and Healing’ है। इस थीम के जरिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत दुनियाभर के देशों द्वारा ओजोन परत के संरक्षण और जलवायु की रक्षा के लिए तीन दशकों से किए जा रहे प्रयासों को सिलेब्रेट किया जाएगा।

16 सितम्बर की ऐतिहासिक घटनायेें

1 – निगवेल हिदाल्गो ने 1810 में स्पेन से मैक्सिको की आज़ादी के लिए संघर्ष शुरु किया।

2 – भूटान ने 2003 में अहम सामरिक कदम उठाते हुए भारतीय हितों के खिलाफ अपनी जमीन के इस्तेमाल नहीं होने देने का आश्वासन दिया।

3 – वन टू गो एयरलांइस का विमान 2007 को थाईलैंड में दुर्घटनाग्रस्त होने से 89 लोगों की मौत।

4 – आज ही के दिन वाशिंगटन में 2013 को एक बंदूकधारी ने नौसेना के एक शिविर में 12 लोगों की गोली मारकर हत्या की।

5 – मैक्सिको की स्वतंत्रता को 1821 में मान्यता मिली।

6 – फ्रांसीसी उपनिवेेश से दास प्रथा 1848 में खत्म की गई।

7 – ब्रिटेन में 1861 को पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलने की शुरुआत।

8 – ‘जनरल मोटर्स निगम’ की स्थापना 1908 में की गई।

9 – 1916 मेंं भारतीय अभिनेत्री और गायिका एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी का जन्म हुआ।

10 – इटली के साम्राज्यवाद के विरुद्ध लीबिया राष्ट्र के संघर्ष के नेता उमर मुख्तार को 1931 में फांसी दे दी गयी।

11 – 1932 में मच्छरों से फैलने वाली घातक बीमारी मलेरिया की खोज करने वाले नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. रोनाल्ड रॉस का जन्म हुआ।

12 – सोवियत संघ की सेना के जनरल वातुतिन ने 1943 में दोबारा रोमनी पर कब्जा किया।

13 – टोक्यो के सईतामा में 1947 को चक्रवाती तूफान कैथलीन से 1,930 लोगों की मौत हो गई।

14 – युवान पेरॉन अर्जेंटिना से 1955 को विदा।

15 – मलया सिंगापुर ब्रिटिश नार्दन वौनियो से मलेशिया का गठन 1963 में हुआ।

16 – फेडरेशन ऑफ मलय में उत्तरी बोर्नेयो, सारावाक और सिंगापुर मिला कर 1963 में नया देश बनाया गया।

17 – मलय में सिंगापुर का सि मिला कर मलेशिया किया गया हांलाकि 1965 में मलेशिया अलग हो गया।

18 – सोवियत संघ ने 1967 में पूर्वी कजाख में परमाणु परीक्षण किया।

19 – केप वर्डे, मोजाम्बिक, साओ टोमे और प्रिंसिप संयुक्त राष्ट्र 1975 में शामिल हुए।
पापुआ न्यू गिनी ने 1975 में आस्ट्रेलिया से स्वतंत्रता हासिल की।

20 – ईरान में 1978 को आए भूकंप में 20 हजार से भी ज्यादा लोग मारे गए।

21 – जनरल जिया उल हक़ पाकिस्तान के राष्ट्रपति 1978 में निर्वाचित।

22 – सोने की खदान में 1986 को फंस जाने के कारण सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.

23 – भूटान ने 2003 में भारतीय हितों के ख़िलाफ़ अपनी ज़मीन के इस्तेमाल नहीं होने देने का आश्वासन दिया।

24 – पाकिस्‍तान के मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त ने 2007 में परवेज मुशर्रफ़ के राष्‍ट्रपति पद पर दुबारा चुनाव लड़ने के लिए चुनाव से जुड़े क़ानूनों में संशोधन किया।

25 – वन टू गो एयरलांइस का विमान थाईलैंड में 2007 को दुर्घटनाग्रस्त होने से 89 लोगों की मौत।

26 – भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) के कर्मचारियों को 2008 में विश्वकर्मा पुरस्कार प्रदान किया गया।

27 – दुनिया भर के समक्ष भारत के एक उत्कृष्ट पर्यटन स्थल के रूप में पेश करने वाले अतुल्य भारत विज्ञान अभियान को 2009 में ब्रिटिश पुरस्कार मिला।

28 – वाशिंगटन में एक बंदूकधारी ने 2013 में नौसेना के एक शिविर में 12 लोगों की गोली मारकर हत्या की।

16 सितम्बर को जन्मे व्यक्ति

1 – धर्मगुरु उमर मुख़्तार का जन्म 1859 ईसवी में हुआ।

2 – ब्रिटिश लेखक, कवि और नाटककार अलफ्रेड नॉयस का जन्म 1880 में हुआ।

3 – स्वतंत्रता सेनानी बलवंत सिंह का जन्म 1882 में हुआ।

4 – झण्डा गीत ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा’ के रचयिता श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ का जन्म 1893 में हुआ।

5 – भारतीय अभिनेत्री और गायिका एम.एस. सुब्बालक्ष्मी का जन्म 1916 में हुआ।

6 – अमेरिकी कॉर्टूनिस्ट आर्ट सैनसम का जन्म 1920 में हुआ।

7 – भारतीय क्रिकेट अंपायर आर. रामचंद्र राव का जन्म 1931 में हुआ।

8 – मच्छरों से फैलने वाली घातक बीमारी मलेरिया की खोज करने वाले नोबल

9 – पुरस्कार विजेता डॉ. रोनाल्ड रॉस का जन्म 1932 में हुआ।

10 – भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी का जन्म 1968 में हुआ।

11 – भारतीय अभिनेता सुशील आनंद का जन्म 1977 में हुआ।

16 सितम्बर को निधन हुए व्यक्ति

1 – जहाँआरा का निधन 1681 में हुआ।

2 – प्रसिद्ध भारतीय इंजीनियर तथा वर्ष 1936 में ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ के प्रत्युकुलपति ज्वालाप्रसाद का निधन 1944 में हुआ।

3 – परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैनिक ए. बी. तारापोरे का निधन 1965 में हुआ।

4 – भारतीय वायु सेना के सबसे वरिष्ठ और पांच सितारा वाले रैंक तक पहुँचने वाले एकमात्र मार्शल अर्जन सिंह का निधन 2017 में हुआ।