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बॉलीवुड के पीक पर पहुंचकर ले लिया था सन्यास, पुण्यतिथि पर याद आये विनोद खन्ना

अभिनेता से राजनेता बने फिल्म जगत के दिग्गज एक्टर विनोद खन्ना की आज पहली पुण्यतिथि है. हाल ही में उन्हें दादा साहब फाल्के अवार्ड दिया गया है. विनोद खन्ना को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया. पिछले साल मु्ंबई के अस्पताल में उनका निधन हो गया था. वह पिछले कुछ समय से कैंसर से जूझ रहे थे. विनोद खन्ना अभिनेता होने के अलावा, फ़िल्म निर्माता और सक्रिय राजनेता भी रहे हैं. वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे और कई चुनाव जीत चुके थे. वे मंत्री भी रहे.

बॉलीवुड में विलेन के तौर पर किया डेब्यू

70 और 80 के दशक के सुपरस्‍टार रहे विनोद खन्‍ना, वह सितारे थे, जिन्‍होंने एक विलेन के तौर पर अपनी शुरुआत की. उन्‍होंने 1968 में सुनील दत्‍त के साथ फिल्‍म ‘मन का मीत’ से अपनी फिल्‍मी सफर की शुरुआत की थी. उन्‍होंने ‘पूरब और पश्चिम’, ‘मेरा गांव मेरा देश’ जैसी कई फिल्‍मों में नकारात्‍मक किरदार निभाए थे. 1971 में उन्‍होंने ‘हम त‍ुम और वो’ में प्रमुख भूमिका निभायी. विनोद खन्ना और अमिताभ बच्चन, दोनों ही अपने बॉलीवुड करियर के उफान पर लगभग एक ही समय में थे. विनोद खन्ना अमिताभ बच्चन के कड़े प्रतिद्वंदी माने जाते थे. दोनों सुपरस्टार्स ने ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘परवरिश’, ‘अमर अखबर एंथॉनी’ जैसी फिल्मों में साथ में काम किया था.

अचानक ले लिया था सन्यास

1987 से 1994 में विनोद खन्ना बॉलीवुड के सबसे मंहगे सितारों में से एक थे. विनोद खन्ना ने साल 1971 में अपनी बचपन की दोस्त गीतांजलि से पहली शादी की थी. विनोद खन्ना और गीतांजलि के दो बेटे राहुल खन्ना और अक्षय खन्ना हुए, लेकिन बाद में विनोद खन्ना रजनीश ओशो की सेवा में लग गए और उन्होने अपने परिवार से दूरिया बना ली.

अपने करियर की पीक पर होने के बावजूद विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया और ओशो के अनुयायी बन गए. वह अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे और इस हद ओशो से प्रभावित थे कि अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए.

1987 में उन्होंने ‘इंसाफ’ फ़िल्म से की वापसी

कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विनोद संन्यास लेकर अमेरिका चले गए और ओशो के साथ करीब 5 साल गुजारे.इसके बाद गीतांजलि ने विनोद खन्ना से तलाक ले लिया फिर 1990 में विनोद खन्ना ने कविता से शादी कर ली. जिससे उनके एक बेटा साक्षी और बेटी श्रद्धा हुए. 1987 में उन्होंने ‘इंसाफ’ फ़िल्म से वापसी की. चार-पांच साल तक नायक बनने के बाद विनोद अब तक धीरे-धीरे चरित्र भूमिकाओं की ओर मुड़ने लगे थे

उनकी आखिरी फिल्म दिलवाले थी

2015 में शाह रुख़ ख़ान की फ़िल्म दिलवाले’ में नज़र आने के बाद उन्होंने 1999 में विनोद खन्ना को उनके इंडस्ट्री में योगदान के लिए फ़िल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़ा गया था.