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युद्ध में जीत अब बड़े पैमाने पर विनाश करने की क्षमता पर टिकी : सेना प्रमुख

 

नई दिल्ली। सेना प्रमुख एमएम नरवाणे ने वर्तमान युद्ध में सटीक निर्देशित हथियारों की आवश्यकता पर जोर दिया है, क्योंकि युद्ध में जीत अब बड़े पैमाने पर विनाश करने की क्षमता पर टिकी हुई है। उन्होंने कहा है कि भारत अपनी पारंपरिक प्रगति को मजबूत करने के अलावा अपनी पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर एक गतिशील प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। भारत की उत्तरी सीमा चीन और पश्चिमी सीमा पाकिस्तान से सटी हुई है। बालाकोट पर एयर स्ट्राइक से हमने भारतीय सेना के लिए संघर्ष के समग्र ढांचे के भीतर युद्ध के बदलते चरित्र का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया है।

सेना प्रमुख बुधवार को दिल्ली के कैंट स्थित मानेकशॉ सेंटर में ‘भूमि युद्ध की विशेषता बदलने और सैन्य पर इसके प्रभाव’ विषयक गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्षों से देश के लोग भारत और पाकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पार होने को ही पूर्ण युद्ध मानते थे लेकिन बालाकोट एयर स्ट्राइक से साबित हुआ कि यदि आप कौशल के साथ एस्केलेटरी गेम खेलते हैं, तो सैन्य हमले को कई छोटे चक्रों में स्थापित किया जा सकता है जो जरूरी नहीं कि पूर्ण युद्ध की ओर ले जाए। चौतरफा संघर्ष की दहलीज से नीचे सैन्य कौशल दिखाने के बारे में उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के रियाद हवाई अड्डे और तेल सुविधाओं पर हौथी विद्रोहियों ने हमला किया और इसी तरह भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के जरिये सेना की छोटी, तीव्र और तेज-तर्रार गतिविधियों को देखा।

सेना प्रमुख ने कहा कि हम अपने पारंपरिक कौशल को मजबूत करने के अलावा हम गतिशील प्रतिक्रिया पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर इस संबंध में अपनी योजनाओं और क्षमताओं को परिष्कृत कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हर तरह के खतरे से निपटने के लिए जवाबी कार्यवाही करने की प्रणाली विकसित की जा रही है। सेना प्रमुख ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीनी प्रभुत्व ने छोटे-बड़े कदम उठाए हैं लेकिन उनमें से कोई भी गंभीर नहीं है जो किसी भी कार्रवाई या प्रतिक्रिया को गंभीर बना सके।

उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध में जीत अब बड़े पैमाने पर विनाश करने की क्षमता पर टिकी हुई है। इसलिए उभरते विघटनकारी डोमेन का सैन्य लाभ लेने पर भी ठोस ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा अंतरिक्ष, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में भी भारतीय सेना की क्षमता को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। हम संभावित सैन्य उपयोग के लिए ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकियों, लेजर और निर्देशित ऊर्जा हथियारों के दोहन पर भी विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में युद्ध के नतीजे सैन्य बलों की संख्या के बजाय तकनीकी श्रेष्ठता पर निर्भर हो सकते हैं।