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अवध बार एसोसिएशन चुनाव का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

-अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की विशेष अनुमति याचिका

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बार एसोसिएशन के चुनाव को लेकर जारी आदेश के खिलाफ अधिवक्ता उच्चतम न्यायालय पहुंच गए हैं। 24 और 27 अगस्त को आए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश ने लखनऊ बार एसोसिएशन के चुनाव को लेकर कुछ शर्तें लगा दीं। इस आदेश को चुनौती देते हुए अधिवक्ता अमित सचान और आलोक त्रिपाठी ने विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दी।

सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका, न्यायालय के इस क्षेत्राधिकार को चुनौती देती है। जिसके तहत वह चुनाव संचालन में शर्ते लगा लगा रहा है जो लखनऊ बार एसोसिएशन के उप-नियमों में उल्लेखित नहीं हैं।

याचिका में कहा गया है कि यदि एक बार जब बार काउंसिल ऑफ इंडिया या यूपी बार काउंसिल ने किसी अधिवक्ता को दस्तावेजों से प्रमाणित कर दिया है तब फिर ऐसे में कैसे किसी अधिवक्ता को बार एसोसिएशन चुनाव कराने या मतदान करने से रोका जा सकता है, जिसका वह सदस्य है। मामले में बार काउंसिल ऑफ यूपी, लखनऊ बार एसोसिएशन, सेंट्रल बार एसोसिएशन, सीनियर रजिस्ट्रार ऑफ हाई कोर्ट सहित और सभी लखनऊ स्थित बार संगठनों को प्रतिवादी ठहराया गया है।

क्या है मामला

साल 2021-2022 के लिए 14 अगस्त 2021 को, लखनऊ बार एसोसिएशन में गवर्निंग बॉडी के लिए चुनाव हुए। निर्वाचन अधिकारी ने चुनावी प्रक्रिया में हो रहे पक्षपात और अन्याय के मद्देनजर मतदान को उसी दिन बाद में रद्द कर दिया।

अगले ही दिन न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति डी.के. सिंह की बेंच ने 14 अगस्त 2021 को हुई घटनाओं का स्वत: संज्ञान लिया और एक जनहित याचिका दर्ज की।

24 अगस्त 2021 को कोर्ट ने एक विस्तृत आदेश पारित किया जिसमें उसने पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद्द करते हुए नए सिरे से मतदान सूची निर्मित करते हुए मतदान कराने की बात कही।

न्यायालय ने ‘एक बार एक वोट’ सिद्धांत का ध्यान रखते हुए एक शर्त लगा दी जिसके तहत वही अधिवक्ता वैध मतदाता होगा जिसने पिछले 3 साल में एक साल में 20 वाद दायर किए हों और पहले कभी किसी अन्य बार एसोसिएशन में मतदान ना किया हो। इससे कोर्ट में कई आवेदन दाखिल हुए जिसमें इस शर्त को हटाने की मांग की गई।

27 अगस्त 2021 को जस्टिस रितु राज अवस्थी और जस्टिस डी.के. सिंह ने मतदाता बनने की शर्तों में ढील दे दी बशर्ते कि वैध मतदाता बनने के लिए निम्नलिखित शर्तों को अनिवार्य बताया-

1. तीन वर्ष की अवधि घटाकर दो वर्ष की जाएगी।
2. पिछले दो वर्षों के लिए एक वर्ष में दर्ज किए गए न्यूनतम मामले वर्ष 2019 के लिए दस मामले और वर्ष 2020 के लिए 5 मामले होंगे।
3. वे वकील जिनके घर लखनऊ-बाराबंकी रोड पर या लखनऊ-बाराबंकी रोड की कॉलोनियों में हैं, उन्हें लखनऊ का निवासी माना जाएगा।
4. अधिवक्ता-शपथ आयुक्तों को नियमित व्यवसायी माना जाएगा।
5. सभी चैंबर आबंटितियों को ‘नियमित व्यवसायी’ की परिभाषा में शामिल किया जाएगा।

24 अगस्त के आदेश में शर्तों में मिली ढील के बाद भी योग्य मतदाताओं की संख्या 4800 से घटकर 2800 आ गई।