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व‍िवेक अग्न‍िहोत्री के निर्देशन में बनीं द कश्मीर फाइल्स देशभर में जबरदस्त चर्चा में है.

कश्मीर में सालों पहले हुए अत्याचार के जख्मों को फ‍िल्म द कश्मीर फाइल्स ने एक बार फ‍िर ताजा कर दिया है. व‍िवेक अग्न‍िहोत्री के निर्देशन में बनीं द कश्मीर फाइल्स देशभर में जबरदस्त चर्चा में है. फ‍िल्म बॉक्स ऑफ‍िस पर शानदार कमाई कर रही है. कई थियेटरों में फ़िल्म हाउसफ़ुल चल रही है. देश के चार राज्यों ने फ़िल्म को टैक्स-फ्री घोषित कर दिया है. लोग पॉज‍िट‍िव रिएक्शन दे रहे हैं. कश्मीरी पंड‍ितों की कहानी को फिल्म ने बखूबी पेश किया है. सेलेब्स भी फ‍िल्म की तारीफ कर रहे हैं. सोशल मीडिया, राजनीतिक गलियारों, फ़िल्म और मनोरंजन इंडस्ट्री और यहां तक कि हमारे-आपके घरों में भी इस फ़िल्म का नाम लिया जा रहा है.

फिल्म की हुई जमकर तारीफ़

जहाँ एक तरफ बेहद कम बजट में ये फिल्म बनकर तैयार हुई तो रिलीज होने की तारिख के बाद से ही कमाई के सरे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.इस फिल्म ने अब तक 15 करोड़ से अधिक की कमाई कर ली है.फिल्म को न सिर्फ बॉलीवुड के तमाम सितारों ने बल्कि पीएम मोदी ने भी इसकी तारीफ की.यहाँ तक की फिल्म को रोड आइलैंड अमेरिका ने इसकी जमकर तारीफ की. फिल्म की एक ख़ास बात और है फिल्म का थीम म्यूजिक बुडापेस्ट के कुछ युवा छात्रों में बेहद कम पैसे में तैयार किया है.

द कश्मीर फाइल्स और कॉन्ट्रोवर्सी

ये फिल्म एक ऐसे मुद्दे पर है जिसे काफी कॉन्ट्रोवेर्सियल भी माना जा रहा है. इस फिल्म को लेकर सबसे बड़ा विवाद तब हुआ जब इसको द कपिल शर्मा शो में प्रमोशन को लेकर मना करने की बात आमने आयी और फिर दर्शकों का गुस्सा द कपिल शर्मा शो पर फूट पड़ा और लोगों ने कपिल के शो की सोशल मीडिया पर जमकर ट्रॉल्लिंग की और साथ ही फिल्म का प्रमोशन भी खुद ही करने लगे जिसका नतीजा हुआ फिल्म को देखने के लिए दर्शकों की भीड़ सिनेमाहालों में उमड़ पड़ी और देखते ही देखते फिल्म लोगों की जुबान पर आ गयी.

क्या है कश्मीर घाटी और पंडितों का मामला

कश्मीर की ये फाइल तैयार होना शुरू हुई साल 1989 में में जब कश्मीर में आतंकवाद का दौर विस्तार लेने लगा. हिजबुल मुजाहिद्दीन और JKLF ने कश्मीर में जेहाद का ऐलान कर दिया.घाटी में कश्मीरी पंडितों के बुरे दिनों की पहली आहट 14 सितंबर 1989 को आई. भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और कश्मीरी पंडित तिलक लाल तप्लू की JKLF ने हत्या कर दी. इसके बाद जस्टिस नील कांत गंजू की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई. उस दौर के अधिकतर हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई, 300 से ज्यादा हिंदुओं को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया.

कश्मीर में साल 1989 में इस्लामिक ड्रेस कोड लागू कर दिया.नारा दिया गया. ‘हम सब एक, तुम भागो या मरो’. इसके बाद कश्मीरी पंडितों घाटी छोड़कर जाने लगे. करोड़ों के मालिक कश्मीरी पंडित अपनी पुश्तैनी जमीन जायदाद छोड़कर रिफ्यूजी कैंपों में रहने को मजबूर हो गए. घाटी के उर्दू अखबार भी कश्मीरी पंडितों को परेशान करने लगे. हिज्ब-उल- मुजाहिदीन ने लिखा कि ‘सभी हिंदू अपना सामान बांधें और कश्मीर छोड़ कर चले जाएं.’ घाटी की कई मस्जिदों पर कट्टरपंथियों ने कब्जा कर लिया. वहां से हिंदू विरोधी भाषण दिए जाने लगे.जिस समय कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार का काला अध्याय लिखा जा रहा था, उस वक्त कश्मीर के मुख्यमंत्री फारुख अब्‍दुल्ला थे.

कितने कश्मीरी पंडित हैं देश में

कश्मीर पर किताब लिखने वाले एलेक्जेंडर इवान्स का मानना है कि 1990 के बाद कश्मीर छोड़ने वाले कुल हिंदुओं में से करीब 1.6-1.7 लाख कश्मीरी पंडित थे, जिनकी संख्या ज्यादा भी हो सकती है। वहीं, नोरविजियन रिफ्यूजी काउंसिल के इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर के आंकड़ों की मानें तो 1990 के बाद से 2.50 लाख पंडित विस्थापित हुए।

ऑल कश्‍मीरी पंडित कोऑर्डिनेशन कमेटी’ के मुताबिक, कश्मीर घाटी से बाहर 62,000 विस्थापित परिवार रह रहे हैं. इनमें से 40,000 परिवार जम्मू में, 20,000 परिवार दिल्ली में, जबकि बाकी 2,000 परिवार देश के दूसरे शहरों में रहने को मजबूर हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1990 से 2014 के दौरान कश्मीर से पलायन करने वाले 62,000 कश्मीरी परिवारों में सिर्फ 10 हजार बच्चों ने जन्म लिया, जबकि इसी दौरान 23,708 कश्मीरी पंडितों की मौत हुई. ये मौतें उस दर्द की वजह से हुई जो कश्मीरी पंडितों ने घाटी में झेला था.

कश्मीरी हिन्दुओं के लिए क्या है सरकार का प्लान

2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज (पीएमडीपी) का एलान किया। इसके तहत जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए 80 हजार 68 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया और कश्मीरी पंडितों को घाटी में वापस बसाने के लिए कई योजनाओं पर काम शुरू हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया और इससे लद्दाख को अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने का एलान किया गया। 5 अगस्त 2019 के बाद से ही अब तक 1700 कश्मीरी पंडितों को सरकारी नौकरियां मिली हैं। इसी के तहत फिलहाल कश्मीर में 920 करोड़ रुपये की लागत से 6000 ट्रांजिट घर बनाए जा रहे हैं।