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सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषी विनय की याचिका खारिज की, कहा-मानसिक हालत ठीक

 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप मामले के एक दोषी विनय की राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।

जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये कहना गलत है कि राष्ट्रपति के समक्ष सभी तथ्य नहीं रखे गए थे। सभी जरूरी तथ्यों को देखने के बाद ही दया याचिका खारिज की गई है। कोर्ट ने कहा कि विनय की मेडिकल रिपोर्ट ये बताते हैं कि वो मानसिक रूप से बिल्कुल फिट है और उसकी स्थिति स्थिर है। कोर्ट ने पिछले 13 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुनवाई के दौरान विनय की ओर से वकील एपी सिंह ने कहा था कि विनय की मानसिक हालात ठीक नहीं है। वो डिप्रेशन और अनिद्रा का शिकार है। कोर्ट तिहाड़ जेल से मेडिकल रिकॉर्ड मंगवाए। एपी सिंह ने कहा था कि मेरे मुवक्किल को पहले ही कई बार जेल प्रशासन की ओर से मानसिक अस्पताल में भेजा जा चुका है और उसे दवाइयां दी गई हैं। मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति को फांसी नहीं दी जा सकती है। एपी सिंह ने कहा था कि यह संविधान की धारा-21 के तहत विनय के जीने के अधिकार का उल्लघंन है। उन्होंने कहा था कि नियमों के मुताबिक फांसी की सज़ा होने से पहले दोषी का पूरी तरह से स्वस्थ होना जरूरी है।

एपी सिंह की दलीलों का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि राष्ट्रपति के सामने दया याचिका के साथ सभी संबंधित दस्तावेज पेश किए गए थे। विनय ने पहली दया याचिका दायर की। उस पर उसे खारिज करने की अनुशंसा की गई लेकिन विनय ने दया याचिका वापस ले लिया। उसने दूसरी दया याचिका दायर की। मेहता ने राष्ट्रपति के समक्ष दायर दूसरी दया याचिका के साथ दस्तावेज में गृहमंत्री और उपराज्यपाल के हस्ताक्षर दिखाए थे। उन्होंने कहा था कि दोषी के सभी रिकॉर्ड की जांच की गई।

मेहता ने कहा था कि विनय को कभी भी एकांत कारावास में नहीं डाला गया। जेल में उसकी हमेशा चेकअप की गई। अभी वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। इसलिए राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज करने के फैसले में किसी न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।

विनय ने अपनी याचिका में कहा था कि वो डिप्रेशन में है और उसे मानसिक परेशानी है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघ्न चौहान के फैसले का जिक्र किया गया था जिसमें कहा गया है कि मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है। याचिका में विनय की ओर से कहा गया था कि जेल के अंदर उसके साथ किए गए अमानवीय व्यवहार की वजह से उसे मनोवैज्ञानिक आघात लगा है। विनय की याचिका में कहा गया था कि उसे जेल में प्रताड़ित किया गया। उसे एकांतवास में रखकर जेल नियमों का उल्लंघन किया गया।