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इन मन्त्रों के जाप से रहती है बड़ी से बड़ी समस्या दूर…

ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र, ऐसी ही कुछ विधाएं हैं जिनके प्रयोग से हम जीवन में आ रहे संकटों के रुख मोड़ सकते हैं। तकलीफ होने पर लोग इन शास्त्रीय उपायों का प्रयोग करते हैं, लेकिन पहले भी यदि ये उपाय किए जाएं तो परेशानी का मुख नहीं देखना पड़ेगा। खैर यहां हम कपूर के प्रयोग से होने वाले कुछ शास्त्रीय उपायों की चर्चा करने जा रहे हैं।

आशा है कि आपको ये उपाय पसंद आएंगे और आप इनका प्रयोग कर अपने जीवन और भी बेहतर बना सकेंगे। पूजा-पाठ में कपूर का इस्तेमाल किया जाता है। इसे हिन्दू धर्म के अनुसार पवित्र माना जाता है।

भगवान के भक्त करते हैं मन्त्रों का जाप 

भगवान श्री कृष्ण के बहुत से भक्त हैं जो अपने भगवान के मन्त्रों का जाप हर दिन करते हैं. कहा जाता है कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार कहे जाते है और श्री कृष्ण का लीलामय जीवन अनेक प्रेरणाओं और मार्गदर्शन से भरा हुआ माना जाता है. वहीं श्री कृष्ण के भक्त न केवल भारत में बल्कि पुरे संसार में फैले हुए है और सभी उन्हें खूब पसंद करते हैं.

ऐसे में अगर आप अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं तो सिर्फ उनके जीवन से जुड़े उपदेश ही नहीं बल्कि उनसे जुड़े मन्त्र भी अपना सकते हैं. क्योंकि यह भी उनके भक्तो के जीवन को सुखमय बना सकते है.

जी हाँ, अब आज हम आपको भगवान श्री कृष्ण से संबंधित कुछ ऐसे मंत्रो के बारे में बताने जा रहे है जिनसे हर इंसान के जीवन में सुख-समृद्धि और ऐशवर्य आ जाएगा. आइए जानते हैं उन मन्त्रों को. सबसे पहले आप सभी को बता दें कि इन मन्त्रों का सही उच्चारण ही आपको फल देगा नहीं तो यह आपका जीवन बर्बाद कर देगा. आइए जानते हैं मंत्र.

मन्त्र 

1 . ”कृं कृष्णाय नमः”
2 .”ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा ”
3 . ”गोल्ल्भय स्वाहा”
4 . ”गोकुल नाथाय नमः”…
5 “क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः”
6 . ”ॐ नमः भगवते श्रीगोविन्दाय ”
7 . ”ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्र्सो”
8 .“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री”
9 . “ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा”….
10 .“लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा”
11 “नन्दपुत्राय श्यामलांगाय बालवपुषे कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा”…
12 . “ॐ कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद मे, रमारमण विद्येश विद्यामाशु प्रयच्छ मे”
13 . कृष्णःकर्षति आकर्षति सर्वान जीवान्‌ इति कृष्णः. ओम्‌ वेदाः वेतं पुरुषः महंतां देवानुजं प्रतिरंत जीव से