Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे विशेष जज एसके यादव का कार्यकाल बढ़ा

 

 

नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर चल रहे केस की सुनवाई कर रहे स्पेशल जज एसके यादव का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। जज एसके यादव को अप्रैल 2020 तक सुनवाई पूरी करनी होगी।

बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर जज एसके यादव का कार्यकाल बढ़ाने की बात कही। 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जज एसके यादव को निर्देश दिया था कि वो नौ महीने के भीतर फैसला करें। कोर्ट ने कहा था कि वे इस मामले में फैसला सुनाने तक अपने पद पर बने रहेंगे। कोर्ट ने कहा था कि जज एसके यादव अपने रिटायरमेंट के तय समय के बाद भी केस की सुनवाई करेंगे।

कोर्ट ने जज एसके यादव को निर्देश दिया था कि वे साक्ष्यों और गवाहों के बयान दर्ज कराने में तेजी लाएं। कोर्ट ने कहा था कि पक्षकारों की मौखिक दलीलें सुनने के लिए कम समय दें और उनसे लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश दें। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि जज महोदय का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।

15 जुलाई को जज एसके यादव ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मुकदमा निपटाने में 6 महीने और लगेंगे। वे 30 सितंबर को रिटायर होने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम चाहते हैं, जज फैसला सुना कर रिटायर हों। उसके बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम धारा 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

गौरतलब है कि 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई को सभी 14 आरोपितों के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट के आपराधिक साजिश रचने की धाराओं को हटाने के आदेश को निरस्त करते हुए आपराधिक साजिश रचने की धाराओं को फिर से लगाने की अनुमति दी थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ रायबरेली की कोर्ट में चल रहे सभी मामले लखनऊ ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लखनऊ में जिस सीबीआई कोर्ट का गठन किया था, उसके जज एसके यादव हैं।