नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे अल्तमस कबीर का 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वो सुप्रीम कोर्ट के 39 वें मुख्य न्यायधीश थे। अल्तमस कबीर का 1948 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में जन्म हुआ था। कलकत्ता विश्वविद्यालय से एमए और एलएलबी की डिग्री प्राप्त न्यायमूर्ति कबीर 1 अगस्त, 1973 को बार के सदस्य बने और 6 अगस्त, 1990 को कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थाई जज बनाए गए।
अल्तमस कबीर को एक मार्च 2005 को झारखंड सुप्रिम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति कबीर को 14 जनवरी 2010 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था।
अल्तमस कबीर को कई हाई प्रोफाइल केस में अहम फैसले सुनाने के लिए जाना जाता है।जस्टिस अल्तमस कबीर ने मानवाधिकार और इलेक्शन के कानूनी मुद्दों में अहम रोल अदा किया है। जस्टिस अल्तमस का सबसे अहम केस वर्ष 2011 में महाराष्ट्र की अमरावती जिले के संध्या मनोज वानखेडे को लेकर था। अल्तमस के पिता जहांगीर कबीर कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता थे। जो कि बंगाल में ट्रेड यूनियन के भी नेता थे। उन्होंने बंगाल में मंत्री पद की भी जिम्मेदारी निभाया है। साथ ही उन्हें पहली गैर कांग्रेसी सरकार में वर्ष 1967 में मंत्री बनने का मौका मिला।
अल्तमस कबीर ने पिता के इतर वकालत को अपना पेशा चुना। उन्होंने एक वकील के रुप में अपना करियर वर्ष 1973 में शुरु किया। जिला न्यायालय और हाईकोर्ट में बतौर वकील कई वर्षों तक अल्मस कबीर ने प्रैक्टिस की। वर्ष 1990 में अल्तमस कबीर को कलकत्ता हाईकोर्ट का जज बनाया गया। मार्च 2005 में उन्हें झारखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने का गौरव प्राप्त हुआ। सितंबर 2012 में अल्तमस कबीर सुप्रीम कोर्ट के 39वें मुख्य न्यायाधीश बने। जहां 18 जुलाई 2013 तक वो बतौर मुख्य न्यायाधीश के पद पर आसीन रहे। जिनके बाद पी सतशिवम देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बने।
जस्टिस अल्तमस कबीर को अपने कार्यकाल के दौरान विवादों से भी होकर गुजरना पड़ा। गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भास्कर भट्टाचार्य ने अल्तमस कबीर पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट में उनके प्रमोशन को रोका। वहीं जस्टिस अल्तमस कबीर पर नीट मामले में फैसले से पहले जानकारी लीक करने का भी आरोप लगा।