नई दिल्ली। देशभर में तहलका मचा देने वाले राजस्थान के रूप कंवर सती कांड में आज 32 साल बाद फैसला आने वाला है। इस मामले में आठ आरोपियों पर सती प्रथा के महिमामंडन का आरोप है। जयपुर के सती निवारण कोर्ट में इस मामले की 32 साल तक सुनवाई हुई, जिसमें अब तक 11 आरोपी बरी हो चुके हैं।
4 सितम्बर 1987 को राजस्थान का सीकर जिला अचानक चर्चाओं में आ गया। रूपकंवर के सती होने के बाद देश ही नहीं पूरे विश्व में सीकर में हुई इस घटना का जिक्र हुआ।
32 साल पहले रूपकंवर के सती होने का महिमामंडन करने के मामले में मंगलवार को महानगर की सती निवारण केसों की विशेष अदालत फैसला सुनाएगी। 8 आरोपियों और राज्य सरकार की बहस पूरी होने के बाद विशेष कोर्ट ने फैसला सुनाया जाएगा।
इस मामले में 8 आरोपियों पर कुरीति के महिमामंडन का आरोप है। कुल 39 लोगों पर इस मामले में केस दर्ज किया गया था। जयपुर के सती निवारण कोर्ट में इस मामले की 32 साल तक सुनवाई हुई, जिसमें अब तक 11 आरोपी बरी हो चुके हैं।
रूपकंवर के सती होने की घटना विश्व में चर्चित घटना थी। प्रदेश और देश की काफी बदनामी हुई थी। इस घटना ने काफी तूल पकड़ा था जिसके बाद सती निवारण कानून बना।
रूपकंवर एक युवती थी जिसे 1987 में देवराला नाम के गांव में उसके पति की चिता के साथ जला दिया गया था। कहा जाता है कि वो मर्जी से सती नहीं हुई थी उसको जबरन सती करवाया गया था।
जयपुर की रहने वाली 18 साल की रूप कंवर की शादी सीकर जिले के दिवराला में माल सिंह शेखावत से हुई थी। शादी के 7 महीने बाद माल सिंह की बीमारी से मौत हो गई थी। ऐसा कहा गया पत्नी रूप कंवर ने पति की चिता पर सती होने की इच्छा जताई और 4 सितंबर 1987 को सती हो गई।
इसके बाद गांव के लोगों ने उसको सती मां का रूप दे दिया और मंदिर बनवा दिया। बाद में देश भर में हंगामा मचा तो जांच की गई और जांच में पाया गया रूप कंवर अपनी इच्छा से सती नहीं हुई थी।
आजादी के बाद राजस्थान में सती के 29 मामले सामने आए थे। जिसमें 1987 में रूपकंवर का मामला आखिरी था। इस मामले के बाद राज्य सरकार ने सख्ती दिखाना शुरू कर दिया।
राज्य सरकार की इस पर भारी बदनामी भी हुई थी। इसके बाद मामले की जल्दी सुनवाई के लिए जयपुर में सती निवारण केसों के लिए विशेष कोर्ट बनी।