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प्रो० रूप देवगुण की कृति ‘बस बीस-20’ का विमोचन

सिरसा 18 अप्रैल (।(सतीश बंसल ) – हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन, सिरसा द्वारा जालंधर से पधारे प्रतिष्ठित साहित्यकार प्रो० मोहन सपरा के सिरसा आगमन पर स्थानीय ‘लिटल फ्लावर्स प्ले स्कूल’  में काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्रो० रूप देवगुण की कृति ‘बस बीस-20’ का विमोचन हुआ, जिसकी समीक्षा प्रिं० ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’ ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो० मोहन सपरा थे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रिं० ज्ञानप्रकाश  ‘पीयूष’ ने की। झज्जर से पधारी पूर्व प्राचार्या दीपा कुमारी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की। मंच संचालन संस्था के मंत्री हरीश सेठी ‘झिलमिल’ ने किया तथा स्वागत एवं आभार संस्था के प्रधान प्रो० रूप देवगुण ने किया।


कार्यक्रम का आरम्भ प्रिं० हरभगवान चावला द्वारा ‘साहित्य की वर्तमान स्थिति’ से सम्बन्धित विचारों से हुआ। कवि-गोष्ठी में प्रो० मोहन सपरा ने प्रेम की परिभाषा इस प्रकार दी ‘तुम कहते हो/प्रेम नदी है/पर मुझे नदी नहीं/समुद्र लगता है’। डॉ० जी.डी. चौधरी का यह शेर देखिए ‘भँवर में भटकना शामिल नहीं है फितरत में/लगाना आता है कश्ती को आर-पार हमें’। प्रिं० हरभगवान चावला की कविता की दो पंक्तियां देखिए ‘कविता अगर उतरती है तो उतरे/पेड़ पर जैसे पक्षी उतरता है’। प्रिं० ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’ की देश-प्रेम से सम्बन्धित पंक्तियां देखने योग्य हैं ‘यह देश है हमारा/हमें प्राणों से भी प्यारा/इसकी आबो हवा में/हम हैं जीते’। इनके अतिरिक्त प्रो० रूप देवगुण, प्रिं० दीपा कुमारी, जनकराज शर्मा, डॉ० आरती बंसल, महेन्द्र सिंह नागी, हरीश सेठी ‘झिलमिल’, रमेश शास्त्री व सुरजीत सिरडी ने भी अपनी काव्य रचनाएं प्रस्तुत कीं।