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नसीरुद्दीन शाह मामले पर कुदे पाकिस्तान पीएम, मोदी को दी नसीहत

नई दिल्ली: बुलंदशहर हिंसा के बाद बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह द्वारा अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर जताई गई चिंता और गुस्सा अब पाकिस्तान तक पहुंच गया है। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने नसीरुद्दीन शाह के बयान का समर्थन किया है और कहा है कि ये बातें पाकिस्तान के निर्माता जिन्ना को पहले से ही पता थी इसलिए उन्होंने मुसलमानों के लिए अलग पाकिस्तान की मांग की थी। इमरान खान ने कहा कि आजादी की लड़ाई के दौरान जिन्ना को एहसास होने लगा था कि कांग्रेस जिस आजाद मुल्क की मांग कर रही है उसमें मुसलमानों को बराबरी का दर्जा हासिल नहीं होगा।

इमरान खान पाकिस्तान की पंजाब सरकार की 100 दिन की कामयाबियों को गिनाने के लिए लाहौर में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे। इमरान खान ने कहा कि मुहम्मद अली जिन्ना हिन्दू मुस्लिम एकता के समर्थक थे और उन्हें इकट्ठा करना चाहते थे। उन्होंने कहा, “किसी वजह से कायदे आजम कांग्रेस से अलग हुए होंगे और वो वजह ये थी कि उन्हें धीरे-धीरे एहसास हुआ कि जो कांग्रेस आजादी मांग रही है, उसमें मुसलमानों को बराबर का शहरी नहीं माना जाएगा…आज के हिन्दुस्तान में…मैं अभी नसीरुद्दीन शाह का पढ़ रहा था…वो जो बातें कर रहे हैं…वो सारी वो चीजें हैं जो कायदे आजम तब कर चुके थे जब उन्होंने कहा था कि हिन्दुस्तान में मुसलमानों को बराबर का शहरी नहीं समझा जाएगा…वो हिन्दुस्तान में आज हो रहा है।”

बता दें कि नसीरुद्दीन शाह ने बुलंदशहर हिंसा का जिक्र करते हुए कहा था कि आज के परिवेश में गाय की जान एक पुलिस इंस्पेक्टर की जान से ज्यादा कीमती है. उन्होंने कहा था कि उन्हें अपने बच्चों की सुरक्षा की फिक्र होती है क्योंकि उन्होंने अपने बच्चों को मजहबी तालीम नहीं दी है और उन्हें डर है कि कल अगर कोई भीड़ उनके बच्चों को घेरकर उनका धर्म पूछती है तो वो जवाब नहीं दे पाएंगे.

इमरान खान ने कहा कि वो नरेंद्र मोदी सरकार को ‘दिखाएंगे’ कि ‘अल्पसंख्यकों से कैसे व्यवहार करते हैं?’ उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनके उचित अधिकार मिले। उन्होंने कहा कि यह देश के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का भी दृष्टिकोण था। उन्होंने शाह के बयान की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘हम मोदी सरकार को दिखाएंगे कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं…भारत में लोग कह रहे हैं कि अल्पसंख्यकों के साथ समान नागरिकों की तरह व्यवहार नहीं हो रहा है।