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जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक लोकसभा में भी पास

 

नई दिल्ली। संसद ने स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ते हुए मंगलवार को अलगाववाद का कारण बने संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर के भारत गणराज्य में पूर्ण एकीकरण के सपने को साकार कर दिया। सरदार पटेल के देशी रियासतों को भारत संघ का हिस्सा बनाए जाने के करीब 75 वर्ष बाद जम्मू-कश्मीर अन्य राज्यों जैसा ही क्षेत्र बन गया।

लोकसभा ने मंगलवार को अनुच्छेद 370 हटाने संबंधी संकल्प और जम्मू-कश्मीर को दो केन्द्र शासित प्रदेशों के रूप में विभाजित करने के विधेयक को मतविभाजन के बाद मंजूर कर लिया। राज्य के विभाजन संबंधी विधेयक के पक्ष में 370 और विपक्ष 70 मत पड़े। अनुच्छेद 370 हटाने संबंधी संकल्प के पक्ष में 351 और विपक्ष में 72 मत पड़े। संकल्प के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश और इस संबंध में अधिसूचना जारी होने के साथ ही अनुच्छेद 370 के विशेष दर्जा संबंधी प्रावधान इतिहास के गर्त में चले जाएंगे। इसी तरह विधेयक पर हस्ताक्ष होने के बाद अबतक पूर्ण राज्य रहा जम्मू-कश्मीर दो केन्द्र शासित प्रदेशों के रूप में विभाजित हो जाएगा। जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केन्द्र शासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख चण्डीगढ़ की तरह बिना विधानसभा वाला क्षेत्र होगा।

कांग्रेस पार्टी और तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर सभी विपक्षी दलों ने सरकार के विधायी कार्य का समर्थन किया। कांग्रेस सदन में अलग-थलग नजर आई। हालांकि उसके सदस्यों ने अपनी आलोचना सरकार द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर केन्द्रीत की।

लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी के इस कथन की कि कश्मीर आंतरिक मामला नहीं है, से सदन में उत्तेजना फैल गई। स्वयं गृहमंत्री अमित शाह ने चौधरी के बयान पर आपत्ति व्यक्त की। बाद में चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र के समक्ष नहीं है। इस तरह राज्य में जनमत संग्रह का पुराना प्रस्ताव उसी समय खत्म हो गया जब पाकिस्तान ने 1965 में भारत पर हमला किया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र भी अब जम्मू-कश्मीर को विवाद नहीं मानता।

कांग्रेस नेताओं ने पाक अधिकृत कश्मीर और चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन के बारे में सरकार से वैधानिक स्थिति स्पष्ट करने को कहा। गृहमंत्री ने कहा कि सदन में रखे गए संकल्प और विधेयक में इन क्षेत्रों को भारत का हिस्सा माना गया है। शाह ने भावपूर्ण शब्दों में कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर को देश में शामिल करने के लिए जान की बाजी लगा देंगे।

केन्द्रीय गृहमंत्री ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर को सीमित समय के लिए केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जा रहा है। जैसे ही राज्य में स्थिति समान्य होगी, उचित समय पर उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा, मुख्यमंत्री और जनप्रतिनिधि होंगे और वहां का शासन-प्रशासन केन्द्र की ओर से भेजे गए सलाहकार नही चलाएंगे।

गृहमंत्री ने अनुच्छेद 370 को आतंकवाद और अलगाववाद की मूल जड़ बताया। उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह जिया-उल-हक ने भारत के खिलाफ आपरेशन ‘प्रोफेट’ चलाया था, जिसमें इस अनुच्छेद का भरपूर उपयोग किया गया था। शाह ने कहा कि पाकिस्तान देश के अन्य राज्यो में आपरेशन ‘प्रोफेट’ के जरिए आतंकवाद नहीं फैला सका, क्योंकि उन राज्यों में अनुच्छेद 370 जैसी संवैधानिक व्यवस्था नहीं थी।

गृहमंत्री ने कहा कि 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में दलितों जनजाति के लोगों, सफाई कर्मचारियों और महिलाओं के हितों के लिए बनाए गए केन्द्रीय कानून लागू नहीं हो पा रहे है। उन्होंने कांग्रेस सदस्यों से पूछा कि वह दलित, महिला और अल्पसंख्यक विरोधी संवैधानिक प्रावधान की हिमायत क्यों कर रहे हैं।