अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर स्नेहा मोहनदास के बाद पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल की जिम्मेदारी मालविका अय्यर ने संभाली और उन्होंने अपनी कहानी को साझा किया। उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में बीकानेर ब्लास्ट में अपने दो हाथ गंवा दिए थे। विस्फोट में हाथों के साथ उनके पैर भी बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। लेकिन वह हिम्मत नहीं हारीं। मालविका आज दिव्यांग लोगों को लेकर जागरुकता फैला रही हैं।
अपनी कहानी बताते हुए मालविका अय्यर ने लिखा, ‘स्वीकृति सबसे बड़ा इनाम है, जो हम खुद को दे सकते हैं। हम जिंदगी को नियंत्रित नहीं कर सकते लेकिन हम निश्चित रूप से जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को नियंत्रित कर सकते हैं। दिन के आखिर में मायने यह रखता है कि हमने अपनी चुनौतियां का किस तरह से सामना किया। मेरे बारे में और मेरी कहानी के बारे में जानिए।’
मालविका ने बताया, ’13 साल की उम्र में एक बम धमाके में मैंने दोनों हाथ गंवा दिए और पैरों में भी चोट आई। इसके बावजूद मैंने काम किया और पीएचडी की पढ़ाई की। किसी चीज को छोड़ देना विकल्प नहीं होता है। अपनी सीमाओं को भूल जाइए और विश्वास और आशा के साथ दुनिया में कदम रखते रहिए। मेरा मानना है कि शिक्षा परिवर्तन के लिए अपरिहार्य है।
मालविका ने आगे लिखा कि हमें भेदभावपूर्ण रवैये को लेकर युवाओं के दिमाग को संवेदनशील बनाना होगा। हमें विकलांग लोगों को कमजोर या दूसरे पर निर्भर दिखाने की बजाए उन्हें रॉल मॉडल के तौर पर दिखाना चाहिए। मनोवृत्ति विकलांगता को नष्ट करने की आधी लड़ाई है। माननीय प्रधानमंत्री ने महिला दिवस पर मुझे मेरे विचारों को प्रसारित करने के लिए चुना है। इससे मुझे विश्वास हो गया है कि विकलांगता के मामले में भारत पुराने अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए सही रास्ते पर चल रहा है।
मालविका ने बताया कि मई, 2002 की छब्बीस तारीख। उस दिन सबकी छुट्टी थी, रविवार का दिन था। मैं नवीं कक्षा में थी। मम्मी-पापा सभी लोग घर पर थे। कुछ मेहमान उनसे मिलने आए थे। पापा मेहमानों के साथ बैठक कक्ष में बैठे थे। मेरी बहन उनके लिए रसोई में चाय बना रही थी। गर्मी बढ़ गई थी, सो मां कूलर में पानी भरने गई हुई थीं। तभी मेरी नजर अपनी जींस की फटी जेब पर गई।
मैंने सोचा, क्यों न इसे फेवीकॉल से चिपका दूं! यह सोचकर मैं गराज में किसी भारी वस्तु की तलाश में चली गई, जिससे चिपकाने के बाद जींस पर भार रखा जा सके। मेरे घर के पास ही सरकारी गोला-बारूद डिपो था। मुझे नहीं पता था कि हाल में ही उस डिपो में आग लगी है, जिससे डिपो में रखे कई विस्फोटक पदार्थ आसपास के इलाके में बिखर गए हैं।
उन्होंने बताया कि गराज में भारी वस्तु की तलाश में वह एक ग्रेनेड बम उठा लाई। वह कुछ समझ पाती कि ग्रेनेड फट गया। मालविका ने बताया कि एक पल में ही उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया। युद्धस्तर पर इलाज चला। उनकी जान तो बच गई, पर उस हादसे की वजह से उनको अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े। साथ ही दोनों पैर भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।
मालविका को दो साल तक अस्पताल में रहना पड़ा। इस दौरान उन्हें कई स्तर की सर्जरी से गुजरना पड़ा। वह महीनों तक चल भी न सकी। वह एक झटके में दुनिया की नजर में सामान्य से दिव्यांग बन चुकी थी। उन्होंने बताया कि उनका जन्म तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था, पर उनकी परवरिश राजस्थान के बीकानेर में हुई है। मालविका ने बताया कि जिंदगी भर याद रहने वाले उस हादसे के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ना जारी रखा।
मालविका ने चेन्नई से माध्यमिक स्कूल परीक्षा में बतौर प्राइवेट अभ्यर्थी हिस्सा लिया और सहायक की मदद से परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की। उन्होंने बताया कि उनका हौसला बढ़ चुका था। वह आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गई और यहां के सेंट स्टीफन कॉलेज से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री ली। इस बीच सामाजिक कामों में मेरी रुचि बढ़ने लगी थी। यही कारण रहा कि उन्होंने दिल्ली स्कूल से एमएसडब्ल्यू और मद्रास स्कूल से एम. फिल की पढ़ाई पूरी की।
इस हालत में भी सामाजिक सरोकारों के लिए उनका हौसला देखकर उन्हें कई विदेशी संस्थाओं से अपने यहां मोटिवेशनल स्पीच (प्रेरक भाषण) देने के लिए बुलाया जाने लगा। उन्होंने बताया कि संघर्ष भरे दिनों में उनकी मां की कही वह बात उन्हें हमेशा याद रहेगी, जब उन्होंने कहा था, आईने के सामने खड़ी होकर मुस्करा के देखो, तुम्हें अपनी सूरत दुनिया में सबसे सुंदर दिखेगी।
मालविका ने कहा कि मैंने कई लोगों को देखा है, जो अपनी जिंदगी से परेशान दिखते हैं। वे सोचते हैं कि कोई बुरी बात उन्हीं के साथ ही क्यों हुई। मुझे लगता है कि ऐसी सोच ही उनके अंदर नकारात्मकता का प्रसार करती है। जरूरत है तो बस इसी सोच को बदलने की। बता दें कि मालविका अय्यर एक मोटिवेशनल स्पीकर हैं, जिन्हें महिलाओं के सर्वोच्च नागिरक सम्मान से राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
Acceptance is the greatest reward we can give to ourselves. We can’t control our lives but we surely can control our attitude towards life. At the end of the day, it is how we survive our challenges that matters most.
Know more about me and my work- @MalvikaIyer #SheInspiresUs pic.twitter.com/T3RrBea7T9
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर नारी शक्ति को सलाम किया और अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को दिनभर के लिए उन 7 महिलाओं के हवाले कर दिया, जिन्होंने अपने हौसले और जुनून से लोगों को प्रेरित किया है। पीएम मोदी ने कहा, ‘देश के हर क्षेत्र में असाधारण सफलता हासिल करने वाली महिलाएं। इन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में महान काम किया है। उनके संघर्ष और आकांक्षा से लाखों लोग प्रेरित होते हैं। आइए ऐसी महिलाओं की सफलताओं का जश्न मनाएं और उनसे सीखें।’