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कश्मीर पर बयानबाजी से बाज आएं मलेशिया और तुर्की : भारत

 

 

नई दिल्ली। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुर्की और मलेशिया द्वारा कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा है कि इन देशों को ऐसे बयानों से बाज आना चाहिए। दोनों देशों को मैत्री संबंधों की याद दिलाते हुए भारत ने कहा कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने दिल्ली में पत्रकार वार्ता में कहा कि तुर्की बार-बार भारत के आंतरिक मामलों में दखल देते हुए तथ्यात्मक गलत बयानबाजी कर रहा है। यह गैर-जरूरी और एक तरफा बयान है। तुर्की को पूरे मामले पर जमीनी हकीकत जानने के बाद कोई बयान देना चाहिए।

प्रवक्ता ने कहा कि मलेशिया के साथ भी भारत के मैत्री संबंध हैं। मलेशिया का बयान आश्चर्यजनक और अफसोसनाक है। कश्मीर के बारे में वस्तुस्थिति और जमीनी हकीकत के संबंध प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर सभी तथ्यों को स्पष्टता से रख चुके हैं। अन्य देशों को बयान देते समय भारत द्वारा पेश तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए और इस तरह के बयानों से बचना चाहिए।

रवीश कुमार ने कहा कि भारत का पूरे मामले पर विश्व समुदाय से फिर एक बार कहना है कि जम्मू कश्मीर ने अन्य देशी रियासतों के साथ भारत में विलय का फैसला किया था। पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में आक्रमण कर उसके एक हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का हालिया घटनाक्रम भारत का पूरी तरह से आंतरिक मामला है।

उल्लेखनीय है कि तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान और मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 174वें अधिवेशन में अपने संबोधन के दौरान कश्मीर का उल्लेख किया था। महातिर मोहम्मद ने गलतबयानी करते हुए कहा था कि कश्मीर पर भारत ने हमला कर कब्जा जमाया था।

तुर्की और मलेशिया के नेताओं के बयानों को लेकर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। सोशल मीडिया पर तुर्की और मलेशिया के खिलाफ कुटनीतिक कार्रवाई किए जाने का आग्रह किया जा रहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पाकिस्तान के इस दावे की खिल्ली उड़ाई की कश्मीर के मामले पर 58 देश उसके साथ हैं। प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान के विदेशमंत्री से जब इन देशों की सूची मांगी गई तो उन्होंने चुप्पी साध ली।