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देशभर की अदालतों में वकील अक्सर हिंदी या अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन वाराणसी के ये वकील अदालत से जुड़े हर कामकाज में संस्कृत में ही इस्तेमाल करता है

देववाणी संस्कृत को भाषाओं की जननी कहा जाता है। बदलते परिवेश में संस्कृत भाषा की ये पहचान सिमटती गई। अब संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज 22 भाषाओं में इसकी पहचान सबसे कम बोली जाने वाली भाषा के रूप में है। संस्कृत भाषा को फिर से बोलचाल की भाषा बनाने के लिए महादेव की नगरी काशी के एक वकील ने पिछले 42 सालों से अनोखी मुहिम छेड़ रखी है। दुनियाभर में लगभग 6900 भाषाओं का प्रयोग किया जाता है। बिना भाषा के हम अपने कोई भी कार्य या भावनाओं को दूसरे को नहीं बता सकते हैं। कुछ इसी तरह की एक भाषा है संस्कृत, जो दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। हालांकि, तेजी से बदलते परिवेश में संस्कृत भाषा की पहचान सिमटती जा रही है। संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज 22 भाषाओं में अब संस्कृत की पहचान सबसे कम बोली जाने वाली भाषा के रूप में है।
आपको बता दें कि देववाणी संस्कृत को फिर से बोलचाल की भाषा बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक वकील ने कई दशकों से एक अनोखी मुहिम क्षेड़ रखी है। देशभर की अदालतों में वकील अक्सर हिंदी या अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन वाराणसी के ये वकील अदालत से जुड़े हर कामकाज में संस्कृत का इस्तेमाल करता है। आचार्य श्याम उपाध्याय ने बताया कि जब शुरुआती दौर में वह मुवक्किल के कागजात संस्कृत में लिखकर जज के सामने रखते थे तो जज भी हैरत में पड़ जाया करते थे। आज भी जब वाराणसी के न्यायालय में कोई नए जज आते हैं तो वह भी हैरत में पड़ जाते हैं।