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जानिए आखिर कब और कहा से आई करवा चौथ की प्रथा, एक पौराणिक कथा…

करवा चौथ की प्रथा एक जमाने से चली आ रही है इस दिन हर महिला पाने पति की लम्बी उम्र के लिए दिन भर निर्जला व्रत करके अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती है.

लेकिन अगर हम आपके से पूछा जाए की क्या आप जानतें है कि ये व्रत कैसे शुरू हुआ तो हर किसी की एक कहानी सुनाता है, लेकिन एेसी मान्यता है कि करवाचौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है. आइये जानतें हैं इसके पीछे का इतिहास क्या है…

करवा चौथ का इतिहास 

एक कथा के अनुसार एक बार देवताओं और दानवों के युद्ध के दौरान देवों को पराजय से बजाने के लिए ब्रह्मा जी ने उनकी पत्नियों को व्रत रखने का सुझााव दिया. इसे स्वीकार करते हुए इंद्रांणी ने इंद्र के लिए आैर अन्य देवताआें की पत्नियों ने उनके लिए निरहार, निर्जल व्रत किया. परिणाम स्वरूप देव विजयी हुए आैर इसके बाद ही सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला. उस दिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी थी आैर आकाश में चांद निकल आया था.

माना जाता है कि तभी से करवाचौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई. इसके अतिरिक्त बताते हैं कि शिव जी को प्राप्त करने के लिए देवी पार्वती ने भी इस व्रत को किया था. इसी तरह लक्ष्मी जी ने भी विष्णु जी के बलि के द्वारा बंदी बना लिए जाने के बाद इस व्रत को किया आैर उन्हें मक्ति दिलार्इ. महाभारत काल में इस व्रत का जिक्र आता है आैर पता चलता है कि गांधारी ने धृतराष्ट्र आैर कुंती ने पाण्डु के लिए इस व्रत को किया था.

इस वजह से होती है करवा चौथ की पूजा 

कहा जाता है कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी या करवा-चौथ व्रत करने का विधान है इसी के साथ कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी अर्थात उस चतुर्थी की रात्रि को जिसमें चंद्रमा दिखाई देने वाला है, उस दिन प्रातः स्नान करके अपने सुहाग की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहते हैं.

बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की मूर्तियों की स्थापना की जाती है और यदि मूर्ति ना हो तो सुपारी पर धागा बांध कर उसकी पूजा की जाती है.

इसी के साथ सुख सौभाग्य की कामना करते हुए इन देवों का स्मरण कर करवे सहित बायने पर जल, चावल आैर गुड़ चढ़ाया जाता है उसके बाद करवे पर तेरह बार रोली से टीका करें आैर रोली चावल छिडका जाता है और फिर हाथ में तेरह दाने गेहूं लेकर करवा चौथ की व्रत कथा का श्रवण किया जाता है.