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जानिए, धारा 370 के खत्म होने से जम्मू-कश्मीर में कौन-कौन से बदलाव हुए?

श्रीनगर। मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान किया गया अपना वादा पूरा कर दिया। उन्होंने कश्मीर को धारा 370 के चंगुल से मुक्त कराने का अपना संकल्प पूरा कर लिया है। जिसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार सुबह राज्यसभा में विधेयक पेश किया और जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन की मांग की।

इसके बाद अब जम्मू-कश्मीर दो भागों में बंट गया है। जिसमें एक हिस्सा लद्दाख है, जोकि केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है और दूसरा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर होगा। साथ ही अमित शाह ने सदन में धारा 370 खत्म करने का संकल्प भी पेश किया है, जिसके बाद से ही सदन में हंगामा मचा हुआ है। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब जम्मू-कश्मीर को दूसरे राज्यों में मिले ज्याद अधिकार खत्म ही नहीं बल्कि कम भी हो गए हैं।

ये हुए बदलाव :-

जम्मू-कश्मीर में अब चुनाव होंगे और सरकारें भी होंगी, लेकिन वहां पर उपराज्यपाल का दखल बढ़ जाएगा।

दिल्ली की ही तर्ज पर अब सरकार को जम्मू-कश्मीर में सारे कार्यों की मंजूरी उपराज्यपाल से ही लेनी होगी।

जम्मू-कश्मीर में 17 नवंबर 1956 को पारित उसका खुद का संविधान अब खत्म हो गया है।

इस संविधान के खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य को मिले सभी विशेषाधिकार भी खत्म हो गए हैं, कुछ को छोड़कर।

जम्मू-कश्मीर में अब इमरजेंसी लगाई जा सकती है, जो कि पहले विशेषाधिकार के तहत नहीं लगाई जा सकती थी।

अनुच्छेद 370 के तहत पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का था लेकिन अब यह सभी अन्य प्रदेशों की तरह 5 साल का हो गया है।

मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब दूसरे राज्यों के नागरिक भी जम्मू-कश्मीर के चुनाव में वोटर और प्रत्याशी बन सकते हैं।