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लोगों की जान की कीमत पर नहीं हो सकता औद्योगिक विकास : एनजीटी

नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि लोगों की जान की कीमत पर औद्योगिक विकास नहीं हो सकता है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि औद्योगिक विकास हवा और पानी की गुणवत्ता को ताक पर रखकर नहीं होना चाहिए। एनजीटी ने ये टिप्पणी हरियाणा सरकार को प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों के निरीक्षण की अवधि में कमी लाने का निर्देश देने के दौरान की।

एनजीटी ने कहा कि अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के निरीक्षण की अवधि में कमी लाने और निरीक्षण बढ़ाने की जरूरत है। एनजीटी ने कहा कि लगातार औद्योगिक विकास जरूरी है लेकिन ये विकास हवा और पानी की गुणवत्ता की कीमत पर नहीं हो सकता, जो जीवन के लिए जरूरी है। एनजीटी ने कहा कि कम प्रदूषण फैलाने वाले ग्रीन एरिया में भी निगरानी जरूरी है, जिससे यह पता चल सके कि ग्रीन एरिया के दर्जे का सही तरीके से इस्तेमाल हो रहा है या नहीं।

एनजीटी ने हरियाणा सरकार को निरीक्षण अवधि में कमी लाने का निर्देश दिया और कहा कि अधिक प्रदूषण फैलाने वाली 17 श्रेणियों में अनिवार्य निरीक्षण की अवधि तीन महीने, लाल श्रेणी में छह महीने, नारंगी श्रेणी में एक वर्ष और हरित श्रेणी में दो वर्ष होगी। एनजीटी ने कहा कि इस समय-सीमा और अन्य बदलावों का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अन्य राज्यों के लिए वाटर एक्ट और एयर एक्ट के तहत पालन किया जाना जरुरी है।

एनजीटी ने हरियाणा के मुख्य सचिव को भी निर्देश दिया कि वह केद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में बताई गई कमियों को दूर करने के लिए कार्रवाई सुनिश्चित करें।

याचिका शैलेश सिंह ने दायर की है। याचिका में उन औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का निर्देश देने की मांग की गई है जो वाटर और एयर एक्ट के तहत जरूरी अनुमति के बिना संचालित हो रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि ये उद्योग जल प्रदूषण फैला रहे हैं। याचिका में यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि इन उद्योगों का बिना ट्रीटेड पानी को खेतों में डालने से रोका जाए।