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दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से नही हुई थी 21 मरीजों की मौत, कोर्ट में पुलिस का दावा

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि जयपुर गोल्डन अस्पताल में अप्रैल माह में 21 कोरोना मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थी। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विवेक बेनीवाल ने इस मामले पर अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान डीसीपी प्रणव तायल ने कहा कि सभी मृतकों की डेथ समरी की जांच करने के बाद ये पता चला कि किसी भी मरीज की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई। उन्होंने कहा कि आरोप डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ पर हैं, इसलिए लापरवाही की जांच के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल की सलाह ली जा रही है।

अपनी स्टेटस रिपोर्ट में जयपुर गोल्डन अस्पताल ने दिल्ली पुलिस के दावों के उलट कहा है कि मरीजों की मौत और ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति में सीधा संबंध है। कई बार मदद मांगने के बावजूद करीब तीस घंटे तक ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं की गई। अस्पताल ने कहा है कि आईनॉक्स ने 22 अप्रैल को शाम साढ़े पांच बजे केवल 3.8 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की। 23 अप्रैल को आईनॉक्स ने कोई रिफिलिंग नहीं की, जिसकी वजह से ये संकट पैदा हुआ। अस्पताल प्रशासन ने कहा कि इस घटना के पहले और बाद में अस्पताल में मौतों का आंकड़ा रोजाना दो से तीन तक का रहा है जबकि 23 और 24 अप्रैल को 7-8 घंटे में ही 21 मरीजों की मौत हो गई।

पिछली 13 जुलाई को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर की थी । कोर्ट ने कहा था कि पुलिस ने बड़े हल्के अंदाज में रिपोर्ट दायर की है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दोबारा रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था । सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मामला गंभीर है। संबंधित इलाके के डीसीपी खुद स्टेटस रिपोर्ट दायर करें। पिछली 25 जून को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी।

याचिका सुनीता गुप्ता समेत छह मृतकों के परिजनों ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील साहिल आहूजा और सिद्धांत सेठी ने कहा कि उनके परिजनों की 23 और 24 अप्रैल की दरम्यानी रात को मौत हो गई। उस रात अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हो गई थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस के पास शिकायत की गई लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि अस्पताल प्रशासन के खिलाफ हत्या, लापरवाही से मौत, धोखाधड़ी , आपराधिक साजिश और साक्ष्यों को मिटाने के मामले में एफआईआर दर्ज की जाए। याचिका में कहा गया है कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो गई तो अस्पताल प्रशासन को नए मरीजों को भर्ती नहीं करना चाहिए था और जो पहले से भर्ती मरीज हैं, उन्हें डिस्चार्ज करना चाहिए था। अस्पताल प्रशासन ने सबको अंधेरे में रखा, जिससे मरीजों की मौत हो गई।