सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है। इस दिन गौरी-शंकर की पूजा की जाती है। हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन माना जाता है। इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत करती हैं। व्रत वाले दिन रात में सोना वर्जित माना गया है।
इस दिन रात में भजन और तीज के गीत गाते हुए भोर तक जगे रहना होता है। व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करना जरूरी है। हिंदू धर्म के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है। जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज पर अपनी सास को या अपने घर की बड़ी महिला को सुहाग और श्रृंगार का समान सजा कर सिंधारा के रूप में दिया जाता है। नई नवेली दुल्हन के लिए यह व्रत बेहद अहम होता है। कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस व्रत को ‘गौरी हब्बा’ के नाम से जाना जाता है।
हरतालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त
- 1 सितंबर को व्रत रहने वालों के लिए शुभ मुहूर्त-सायंकाल 06:15 से 08 बजकर 57 मिनट तक
- 2 सितंबर को व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए सूर्योदय होने के बाद से 08:58 तक पूजन किया जा सकता है। लेकिन व्रत पूरा रखना है। सायंकाल शिव मंदिर जाकर माता पार्वती तथा शिव पूजा करें।
ऐसे करें हरतालिका तीज व्रत की पूजा
- सर्वप्रथम ‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप कर व्रत का संकल्प लें ।
- हरतालिका पूजन प्रदोष काल में ही करना चाहिए। यानी दिन-रात वाली गोधिली बेला में।
- तीज के दिन शाम को फिर से स्नान करें और नए वस्त्र पहनें। इसके बाद माता पार्वती और शिव की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर विधि-विधान से पूजा करें। याद रखें इसमें गणेश जी की प्रतिमा भी जरूर बनाएं।
- इसके बाद सुहाग और श्रृंगार का समान सजा कर माता को अर्पित करें।
- शिवजी को भी वस्त्र दें। पूजा खत्म होने पर धोती तथा अंगोछा चढाएं और इसके बाद सुहाग और शिव जी के वस्त्र को ब्राह्मण को दे दें।
- अब माता पार्वती तथा शिव का पूजा करने के बाद हरतालिका व्रत कथा सुनें। फिर सर्वप्रथम गणेशजी की आरती करें और उसके बाद शिवजी और फिर माता पार्वती की आरती करें।
- भगवान की परिक्रमा करें और रात में जगराता करें और तीज के गीत गाएं।
- सुबह पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं।
- ककड़ी-हलवे का भोग लगाएं और फिर इसी ककड़ी को खाकर उपवास खोल लें।
- तीज पर नवविवाहिताओं को बड़े-बुजुर्गों का आर्शीवाद जरूर लेना चाहिए। खास कर अपनी सास या सास समान माताओं का।