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मशहूर संगीतकार खय्याम का निधन, लंबे समय से थे बीमार

 

 

मुंबई। मशहूर दिग्गज संगीतकार खय्याम साहब का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। सीने में संक्रमण और न्यूमोनिया की शिकायत के बाद उन्हें मुंबई के सुजॉय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती ही जा रही थी। डॉक्टरों के मुताबिक इलाज के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिससे सोमवार की रात उनका निधन हो गया।

हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे संगीतकार रहे हैं, जिन्होंने ना सिर्फ अच्छे-बेहतरीन संगीत दिए हमें बल्कि भारतीय सिनेमा को आगे ले जाने में भी उनका काफी योगदान रहा। उनमें से एक नाम संगीतकार खय्याम का भी रहा है। जिन्होंने अपने संगीत से भारतीय सिनेमा को सजाया, संवारा और काफी आगे तक लेकर गए। खैय्याम ने ‘कभी कभी’ और ‘शोला और शबनम’ जैसी मशहूर फिल्मों में म्यूजिक दिया, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि सुरों के सरताज के दिल में अगर संगीत था तो रगों में देश के लिए बहने वाला लहू भी था। तभी तो खय्याम साहब ने दूसरे विश्व युद्ध में बतौर सिपाही भाग भी लिया था।

खय्याम साहब ने उमराव जान, कभी-कभी और बाजार जैसी फिल्मों से भारतीय सिनेमा के संगीत को समृद्ध बनाया। फिल्मों में करियर बनाने के लिए खय्याम लाहौर में मशहूर पंजाबी संगीतकार बाबा चिश्ती से संगीत सीखा। साल 1948 में फिल्म ‘हीर रांझा’ के संगीत देकर खय्याम ने फिल्मी करियर की शुरुआत कर ली। मगर इस फिल्म खय्याम को शर्माजी नाम मिला, शुरुआत में खय्याम को इसी नाम से जाना गया। खय्याम को साल 1961 में रिलीज हुई फिल्म ‘शोला और शबनम’ ने उन्हें मशहूर कर दिया। 92 साल के खय्याम वृद्धावस्था की कई बीमारियों से जूझ रहे थे।19 अगस्त की रात साढ़े नौ बजे उन्होंने मुंबई के सुजॉय अस्पताल में आखिरी सांस ली।

खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद जहूर खय्याम था, मगर उनके चाहने वाले उन्हें खय्याम साहब के नाम से ही जानते हैं। उनकी पत्नी जगजीत कौर सिंगर हैं, मुंबई में वो पत्नी के साथ ही रहते थे। खय्याम को अपने बेहतरीन काम के लिए कई अवॉर्ड्स से भी नवाजा गया है। खय्याम को साल 2007 में संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड मिला था। इसके बाद साल 2011 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण सम्मान मिला था। खय्याम को उमराव जान के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। इसके अलावा उन्हें इसी फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था।

संगीतकार खय्याम के नॉन-फिल्मी गानों को भी फैन्स काफी पसंद करते हैं, खासतौर पर ‘पांव पड़ूं तोरे श्याम’, ‘बृज में लौट चलो’ और ‘गजब किया तेरे वादे पर ऐतबार किया’। उन्होंने मीना कुमारी की ऐल्बम, जिसमें ऐक्ट्रेस ने कविताएं गाई थीं, उसके लिए भी म्यूजिक कंपोज किया था। खय्याम ने आखिरी बार रेखा और नाना पाटेकर की फिल्म यात्रा में संगीत दिया था। ये फिल्म साल 2007 में रिलीज हुई थी।