झारखंड की राज्यपाल रहीं द्रौपदी मुर्मू ने इस चुनाव में पहली वरीयता वाले 2,824 वोट हासिल किए। वहीं, उनके प्रतिद्वंदी यशवंत सिन्हा को प्रथम वरीयता के 1,877 वोट मिले.इस चुनाव में कुल 4,754 वोट पड़े, जिसमें से 4,701 वोट वैध थे, जबकि 53 अमान्य क़रार दिए गए। द्रौपदी मुर्मू आगामी 25 जुलाई को राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ लेंगी। लेकिन उनके चुनाव जीतने के साथ ही बधाई संदेशों का सिलसिला शुरू हो गया है। उन्हें बधाई देने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, और गृहमंत्री अमित शाह से लेकर निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और इस राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार रहे यशवंत सिन्हा भी शामिल हैं।समाचार एजेंसी एएनआई ने राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी के हवाले से बताया, ”यशवंत सिन्हा को प्रथम वरीयता के 1,877 वोट मिले, जिसका मूल्य 3,80,177 रहा. द्रौपदी मुर्मू को पहली वरीयता के वोट, राष्ट्रपति चुने जाने के लिए ज़रूरी कोटे से ज़्यादा थे, इसलिए रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में मैं एलान करता हूं कि वो भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुन ली गई हैं। उन्होंने आगे बताया, ”परिणाम की घोषणा के साथ ही राष्ट्रपति का चुनाव अब पूरा हो गया है। इस चुनाव में कुल 4,754 वोट पड़े, जिसमें से 4,701 वोट वैध थे, जबकि 53 अमान्य, उनके अनुसार, ”द्रौपदी मुर्मू को इसमें से पहली वरीयता वाले 2,824 वोट मिले, जिसका मूल्य 6,76,803 रहा। वहीं राष्ट्रपति चुने जाने के लिए किसी उम्मीदवार को 5,28,491 मूल्य का कोटा हासिल करना था। केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके गठबंधन दलों ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर वैसे तो कई क्षेत्रीय दलों के लिए पसोपेश की स्थिति पैदा कर दी है। लेकिन सबसे बड़ी दुविधा झारखंड के मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के लिए है। कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) उनकी सरकार में शामिल हैं और ये तीनों पार्टियां विपक्षी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की प्रमुख घटक हैं। लिहाजा, स्वाभाविक तौर पर राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनका समर्थन यूपीए के आधिकारिक प्रत्याशी और झारखंड की हजारीबाग लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे पूर्व नौकरशाह यशवंत सिन्हा को मिलना चाहिए।