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जानिए कैसी मूवी है रणवीर कपूर की शमशेरा

अंग्रेजों के साथ लड़ाई में क्रांति, इसी दूसरी कड़ी की मूवी है शमशेरा.. क्रांति, मर्द, भगत सिंह और मणिकर्णिका की तरह यहां अंग्रेजों से लड़ाई तो है, लेकिन देश की बात नहीं होती, भारत माता की बात नहीं होती, बात होती है तो बस खमेरन की। कहानी है खमेरन लोगों की, जो जाति है या कबीला, ढंग से स्पष्ट नहीं होता, लेकिन कहीं ना कहीं वो आदिवासी परम्पराओं से जुड़े लगते हैं। देश की नहीं बल्कि अपने लोगों की बात करते हैं। खमेरनों की लूटपाट और चोरी चकारी से परेशान होकर स्थानीय व्यापारी 5 हजार तोले का लालच देकर शुद्ध सिंह (संजय दत्त) को उनसे निपटने के काम पर लगा देते हैं। वो धोखे से उन्हें एक किले में बंद कर देता है। उनका सरदार शमशेरा (रणवीर कपूर) शुद्ध सिंह को अपने लोगों की आजादी की कीमत दोगुने सोने के तौर पर देने को तैयार हो जाता है, लेकिन दारोगा शुद्ध सिंह उसको भी धोखा देकर गोली मारकर लटका देता है।

कहीं बाकी लोगों को नाम मार दे, उसकी पत्नी उसको भगोड़ा साबित कर उनके ही पत्थरों से मरवा देती है। उसका बेटा बल्ली (रणवीर कपूर) ‘भगोड़ा की औलाद’ शब्द ही सुन-सुनकर बड़ा होता है। वह अंग्रेजी फौज में अफसर बनना चाहता है, पीर बाबा (रोनित रॉय) उसे हर तरह की मुसीबत, जंग आदि से निपटने की ट्रेनिंग देता है। बल्ली बच्चों के गैंग से चोरियां भी करवाता है। लेकिन दारोगा शुद्ध सिंह उसको अफसर की परीक्षा देने को बुलाकर उसे कोड़ों से पिटवाता है तब पीर बाबा और उसकी मां, उसे उसके पिता शमशेरा की कहानी सुनाते हैं उसकी बहादुरी की कहानियां, उसको पुराने गैंग और आजादी के लिए जमा किए जा रहे सोने को छुपाने की कहानी। लोगों को दिखाने के लिए वह आत्महत्या कर लेता है, लेकिन जिस कुएं से कूदता है, उसमें एक सुरंग थी। फिर बल्ली पिता के गैंग से मिलकर बन जाता है शमशेरा और फिर शुरू होती हैं लूट। इसमें उसकी मदद करती है ठग्स ऑफ हिंदोस्तान की नाचने वाली सुरैया की तरह की ही किरदार सोना ।