Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

संतान प्राप्ति के लिए लोलार्क कुंड में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

 

वाराणसी। संतान प्राप्ति की कामना के साथ बुधवार को लाखों महिला व पुरुष श्रद्धालुओं ने भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में आस्था की डुबकी लगाई। स्नान पर्व पर व्रती महिलाओं ने अपने पति के साथ कुंड में मनौती की डुबकी लगा सूर्य देव को अर्घ्य भी दिया। स्नान के बाद मनौती का फल कुंड में प्रवाहित करने के बाद संकल्पित महिलाएं प्रवाहित फल को अगले एक वर्ष तक आहार के रूप में ग्रहण नहीं करेंगी। स्नान के बाद व्रती महिलाओं ने गीले वस्त्र वहीं छोड़कर नए वस्त्र पहन कुंड के पास स्थित लोलार्केश्वर महादेव का दर्शन-पूजन किया।

कुंड में षष्ठी तिथि में स्नान के लिए मंगलवार की शाम चार बजे से ही दूरदराज से आने वालों की कतार लग गई थी। भीड़ को नियंत्रित करने व भगदड़ की स्थिति से बचने के लिए स्थानीय प्रशासन ने लोलार्क कुंड से लेकर तुलसी घाट मोड़ व अस्सी चौराहा तक तथा दूसरी तरफ सोनारपुरा तिराहे तक बैरिकेडिंग की थी। इसी बैरिकेडिंग में श्रद्धालु कतार में लगकर मध्यरात्रि के 12 बजने का इंतजार करते रहे। जैसे-जैसे रात ढ़लती गई लाइन भी लंबी होती जा रही थी। रात के ठीक 12 बजे से स्नान का क्रम शुरू हुआ।

स्नान के लिए कुंड के दोनों गेट खोल दिये गये थे। जिससे स्नानार्थियों को आने-जाने में सुविधा हो रही थी। कुंड में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एनडीआरएफ के जवान तैनात थे। स्नान के बाद श्रद्धालु अपने पुराने कपड़े, जूता व चप्पल त्यागकर नए वस्त्र धारण करते, फिर लोलार्केश्वर महादेव का दर्शन-पूजन कर संतान की कामना करते। कई नए विवाहित जोड़ों ने गांठ बांधकर स्नान किया और दर्शन कर मन्नत मांगी। जिन महिला श्रद्धालुओं की मनौती पूरी हो गई थी, वह सपरिवार यहां पहुंचीं और कुंड में स्नान के पश्चात वस्त्र त्याग कर नए कपड़े धारण करते हुए मंदिर के समीप ही कराहा का भोग चढ़ाया।

जंगमबाड़ी और लंका तक लगी कतार

लोलार्क कुंड में स्नान के लिए मंगलवार शाम से ही व्रती महिलाओं और उनके परिजनों का हुजूम उमड़ पड़ा। इसके चलते भदैनी से एक कतार जंगमबाउ़ी तक तो दूसरी कतार लंका तक लगी रही। लोग धीरे-धीरे कुंड की ओर बढ़ते रहे।

सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त

पूर्व में हुई भगदड़ की घटनाओं को मद्देनजर जिला प्रशासन ने पहले से ही व्यवस्था चुस्त दुरुस्त कर रखी थी। कुंड के आसपास भी बैरिकेडिंग थी। एनडीआरएफ जवानों के साथ ही पीएसी, पुलिस व महिला पुलिस को तैनात किया गया था। एसीएम प्रथम, सीओ भेलूपुर व थाना प्रभारी भेलूपुर गश्त कर रहे थे।

कुंड से निकाले गए पुराने कपड़े

कुंड में स्नान के दौरान परंपरानुसार श्रद्धालुओं ने पुराने वस्त्रों व जूते चप्पल का त्याग कर दिया। इसके अलावा कई महिलाओं ने तो चांदी की पायल व बिछिया भी कुंड में छोड़ दिया। इन कपड़ों को कुंड के ठेकेदार मल्लाहों ने एकत्र कर बाहर निकलवाया।

कुंड का महत्व

ऐसा माना जाता हैं कि लोलार्क छठ के दिन इस कुंड में स्नान-दान, फल त्याग व लोलार्केश्वर महादेव के दर्शन से व्रतियों की गोद भगवान सूर्य की कृपा से अवश्य भरती हैं। काशी खंड के 32वें अध्याय में वर्णन है कि कुंड स्थित मंदिर में माता पार्वती ने शिवलिंग की पूजा की था। किंवदंती है कि सदियों पहले इस स्थान पर एक विशाल उल्कापिंड गिरा था। उल्कापिंड के कारण ही कुंड अस्तित्व में आया था। तब लोगों को यह भ्रम हुआ था कि यहां सूर्य का टुकड़ा गिरा है। काशी खंड, शिवपुराण, विष्णु पुराण सहित कई सनातनी शास्त्रों और धर्मग्रंथों में लोलार्क कुंड का उल्लेख है।