नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य के विभाजन के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी पूरी तरह बंटी हुई है। एक तरह जहां लोकसभा व राज्यसभा में पार्टी इस फैसले का विरोध कर रही है, वहीं दूसरी ओर उसके कई नेता इस फैसले के पक्ष में बोल रहे हैं। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस विचार का विरोध किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के सहयोगियों की आलोचना करते हुए कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर और कांग्रेस का इतिहास नहीं जानते हैं, उन्हें पार्टी में नहीं रहना चाहिए।
आजाद की टिप्पणी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी, पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, उत्तर प्रदेश की विधायक अदिति सिंह और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे कई नेताओं के बयान के बाद आई है। इन नेताओं ने अनुच्छेद-370 को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र के फैसले का समर्थन किया है।
सोमवार को मोदी सरकार के फैसले का स्वागत करने वाले द्विवेदी पहले व्यक्ति थे। उन्होंने कहा था कि देश की आजादी के बाद की गई गलती को ठीक कर दिया गया है। उनके अलावा हरियाणा कांग्रेस के नेता और रोहतक के पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी ट्विटर पर लिखा, “मैं पहले ही इस विचार का समर्थन कर चुका हूं कि 21वीं सदी में अनुच्छेद-370 के लिए कोई जगह नहीं है और इसे जरूर हटाया जाना चाहिए। रायबरेली की विधायक अदिति सिंह ने भी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, “हम एकजुट हैं। जय हिंद। अनुच्छेद-370।
वहीं मंगलवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि कार्यकारी शक्ति का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर है। उन्होंने एक ट्वीट में जम्मू एवं कश्मीर के नेताओं की नजरबंदी की भी आलोचना की। राज्यसभा और लोकसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने अनुच्छेद-370 को रद्द करने और राज्य को विभाजित करने के सरकार के फैसले का विरोध किया है।