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डिफेंस एक्सपो में एम777 हॉवित्जर तोप होगी आकर्षण का केन्द्र

लखनऊ। राजधानी में 05 से 09 फरवरी तक आयोजित होने वाले डिफेंस एक्सपो में रक्षा निर्माण से जुड़ी नामी गिरामी कम्पनियां जहां शिरकत करेंगी। वहीं इस दौरान अत्याधुनिक तकनीक से लैस हथियार भी आकर्षण का केन्द्र होंगे। इनके पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। इन्ही में से एक एम777 अल्ट्रा लाइटवेट हॉवित्जर (यूएलएच) गन डिफेंस एक्सपो की शोभा बढ़ायेगी। मारक क्षमता के लिहाज से हॉवित्जर को दुनिया की सबसे कारगर तोपों में गिना जाता है।

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इस तोप का निर्माण विदेशी कंपनी बीएई सिस्टम्स ने किया है। भारतीय सेना की जरूरत को देखते हुए इस कंपनी से 145 तोपें खरीदने का करार हो चुका है। इनकी कुल लागत 5,070 करोड़ रुपये है। इनमें 25 तोपें बनी-बनाई खरीदने और शेष तोपों को बीएई सिस्टम्स और उसकी सहयोगी कंपनी की मदद से यहां बनाने का करार है। इसीलिए मेक इन डंडिया के तहत महिन्द्रा डिफेंस सिस्टम लिमिटेड अपनी सहयोगी विदेशी कम्पनी की मदद से यहां 120 यूएलएच तोप को असंबेल करने के साथ उसकी परीक्षण कर रही है।

155 एमएम की ये तोप बेहद आधुनिक और खास है। ये 30 किलोमीटर तक सटीक मार कर सकती हैं। इसके अलावा इनका संचालन करना बेहद आसान है। एमएम का मतलब उस डायमीटर से होता है, जहां से गोला निकलता है। यानी गोला निकलने वाली जगह का मुंह कितना बड़ा है। सरल शब्दों में कहें तो जितना बड़ा मुंह होगा, उतना ही बड़ा उससे निकलने वाला गोला होगा। तकनीकी भाषा में इसको बैरल का बोर साइज कहा जाता है।

हॉवित्जर तोपें अन्य तोपों के मुकाबले हलकी हैं। इनको कहीं पर साधारण तरीके से पहुंचाया जा सकता है। इन तोपों का वजन सिर्फ 4,200 किलोग्राम है, जबकि सेना जिन बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल कर रही है, उनका वजन 13,100 किग्रा है। एम777 हॉवित्जर का इस्तेमाल इराक और अफगानिस्तान युद्ध में हो चुका है। मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों के अलावा इन्हें ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। ऊंचाई के इलाकों में इन्हें हेलीकॉप्टर से भी ढोया जा सकता है।

एसयू-30 एमकेआई भी करेगा अपनी ताकत का प्रदर्शन

इसी तरह स्वदेश में पुनर्निर्मित एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान डिफेंस एक्सपो में अपनी ताकत का प्रदर्शन करता नजर आयेगा। देश की रक्षा में उतरने वाला यह पहला ऐसा विमान है, जो पूरी तरह से भारत में निर्मित है। स्वदेशी सुखोई में कई सारे बदलाव किए गए हैं ताकि वायुसेना की जरूरत अनुसार इसकी कार्यक्षमता बढ़ाई जा सके।

वायुसेना के बेहतरीन लड़ाकू विमान एसयू-30 एमकेआई को अब भारत में विकसित किया जा रहा है। सुखोई एसयू-30 एमकेआई एक दो इंजन वाला बहुउद्देशीय उच्च हवाई क्षमता वाला विमान है। रूसी कंपनी सुखोई द्वारा विकसित इस विमान को भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के लाइसेंस के तहत बनाया गया है।