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बिहार सरकार की ओर से इंटरमीडिएट यानी 12वीं की पढ़ाई को डिग्री कॉलेज से अलग करने का फैसला किए दो दशक बीत चुके हैं। हालांकि, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के संबद्ध कॉलेजों में इसकी पढ़ाई अब भी जारी है। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (PPU) से जुड़े कॉलेजों के शिक्षाविदों और प्रिंसिपल ने एक बार फिर राज्य सरकार से अपने फैसले को अमल में लाने की अपील की है। उन्होंने सरकार से इंटरमीडिएट की शिक्षा को डिग्री और स्नातकोत्तर (PG) कॉलेजों से अलग करने का आग्रह किया है।
बीडी कॉलेज के प्रिंसिपल प्रवीण कुमार ने क्या कहा
बीडी कॉलेज के प्रिंसिपल प्रवीण कुमार ने कहा कि संस्थान साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स में इंटरमीडिएट शिक्षा प्रदान कर रहा है। इसके अलावा, कॉलेज 24 प्रमुख विषयों में डिग्री स्तर पर ऑनर्स कोर्स और वाणिज्य में पोस्ट ग्रेजुएशन कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के कॉलेजों से इंटरमीडिएट की पढ़ाई को अलग करने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए। पटना विश्वविद्यालय ने 2007 में अपने डिग्री कॉलेजों से इंटरमीडिएट एजुकेशन को पूरी तरह से अलग कर दिया था।
कोरोना काल में चल रही थीं डिग्री कॉलेजों में यूजी-पीजी क्लासेस
प्रवीण कुमार आगे कहा कि कोरोना महामारी के दौरान, पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी से जुड़े सभी डिग्री कॉलेजों ने केवल स्नातक (यूजी) और पीजी छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की थीं। राजभवन और विश्वविद्यालय ने केवल यूजी और पीजी छात्रों की ऑनलाइन कक्षाओं का साप्ताहिक विवरण मांगा था।
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सरकार से बिना देरी किए फैसला लागू करने की अपील
एसपी साही ने कहा कि राज्य सरकार को अपने फैसले को बिना किसी देरी के लागू करना चाहिए। इंटरमीडिएट को हटाने से कॉलेजों में गुणवत्ता और रिसर्च ओरिएंटेड काम को बढ़ावा मिलेगा। इससे शिक्षकों पर काम का बोझ कम होगा। एमडी कॉलेज-नौबतपुर के प्रिंसिपल कन्हैया प्रसाद सिन्हा ने भी पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट शिक्षण जारी रखने पर सवाल उठाया है।
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