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bihar news: nepal border opened in jogbani after one and a half year border area people able to meet relatives : डेढ़ साल बाद खुला जोगबनी में नेपाल बॉर्डर…अब सगे संबंधियों से मिल सकेंगे सीमाई इलाके में बसे लोग

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हाइलाइट्स

  • जोगबनी में भारत-नेपाल सीमा को पैदल यात्रियों के लिए खोला गया
  • डेढ़ साल बाद सीमाई इलाके में लोगों के बीच आवाजाही शुरू हो पाई
  • फैसले का नेपाल और भारत दोनों देशों के लोगों ने स्वागत किया

राहुल कुमार ठाकुर, अररिया
जोगबनी में भारत-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा के मुख्य प्रवेश द्वार को डेढ़ साल बाद खोला गया। जहां केवल पैदल आवाजाही ही अभी होगी। लम्बे अर्से के बाद जोगबनी मुख्य बॉर्डर होकर लोगों का आवागमन शुरू हुआ। आवाजाही शुरू होने से दोनों देशों के सीमा क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है।

केवल पैदल आवाजाही की अनुमति
मुख्य सीमा से होकर भारत-नेपाल के बीच केवल पैदल ही आवाजाही की अनुमति मिली है। बाइक, साइकिल सहित अन्य वाहनों के परिचालन पर अब भी रोक है। नेपाल मोरंग के मुख्य जिला अधिकारी कोशहरी निरौला ने बताया कि लोगों की आवाजाही केवल मुख्य चौकी से होगी। उन्होंने कहा कि रानी विराटनगर नाका से पैदल चलने वालों को आने-जाने के पीछे अनुमति का मुख्य उद्देश्य वहां तैनात स्वास्थ्य डेस्क है। स्वास्थ्य जांच डेस्क होने के कारण प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच और स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों का पालन करना आसान होगा। नेपाल में प्रवेश करने वालों के लिए प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच जरूरी होगी।

कोविड को लेकर आवागमन पर थी रोक
कोविड-19 को लेकर भारत-नेपाल सीमा सील थी और आवागमन पर रोक थी। प्रतिबंध के कारण भारत-नेपाल के बीच लोग इस्लामपुर और टिकुलिया बस्ती या फिर खुली सीमा ग्रामीण इलाकों से होकर चोरी-छिपे एक-दूसरे देश में आवाजाही कर रहे थे। जिसके कारण सीमा पर कई बार जवानों से हाथापाई और टकराव की स्थिति भी उत्पन्न हो गई। विधि-व्यवस्था का भी खतरा उत्पन्न हो चुका था। मुख्य जांच चौकी पर सख्ती के कारण सहायक चौकी से दोनों देशों के बीच अवैध कारोबार भी काफी फलने-फूलने लगा था, जिसको लेकर नेपाल की ओर से यह निर्णय लिया गया।

नेपाल में सीमा शुल्क कार्यालय अब बुधनगर में

भारत-नेपाल के बीच पारगमन संधि के कारण कोलकाता या दूसरे किसी भी बंदरगाह पर थर्ड कंट्री से आने वाले सामानों के लिए जोगबनी और रक्सौल ही मुख्य सीमा है। जहां कंटेनर और ट्रकों के माध्यम से सामानों को नेपाल भेजा जाता है। जोगबनी से होकर नेपाल प्रवेश करने का रानी विराटनगर ही एकमात्र मुख्य प्रवेश द्वार है। भारतीय क्षेत्र में जोगबनी में आईसीपी के चालू होने के बाद नेपाल में भी सीमा शुल्क कार्यालय रानी नाका से बुधनगर स्थानांतरित कर दिया गया। जिसके कारण बॉर्डर पर कई तरह की समस्याएं भी पैदा हो रही थी। नेपाल की ओर से सहायक चौकी पर सख्ती करते हुए स्थानीय प्रशासन ने रानी चौकी (बॉर्डर) को औपचारिक रूप से खोल दिया।

बॉर्डर खुलने से लोगों ने ली राहत की सांस
भारत-नेपाल के बीच जोगबनी बॉर्डर खुलने पर सीमा क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली। दरअसल भारत-नेपाल के बीच का बेटी-रोटी का संबंध रहा है। दोनों देशों के सीमाई इलाकों में एक-दूसरे के परिजन रहते हैं। अब बॉर्डर खुलने पर लोगों ने राहत की सांस ली। भारत-नेपाल मैत्री समाज के वरुण कुमार मिश्रा, राजेश शर्मा, अशोक झा, भानु झा, तपेश कुमार, राजन सिंह, अजय साह, खुर्शीद खान, अजय आनन्द, राजू राज, रूपेश सिंह, राहुल सिंह सहित कई लोगों ने सीमा पर पैदल आवाजाही शुरू करने के निर्णय का स्वागत किया। इससे दोनों देशों के लोगों को हो रही परेशानियों से निजात मिलने की उम्मीद जताई।

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