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अयोध्या मामला : हिन्दू पक्ष ने कहा-जन्मभूमि पर मन्दिर का निर्माण कर रामनवमी मनाना चाहिए

 

नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर आज मंगलवार को 35वें दिन की सुनवाई पूरी हो गई है। आज हिन्दू पक्षकारों की तरफ से के. परासरन और सीएस वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखीं। हिन्दू पक्ष ने कहा कि लोगों के विश्वास के साथ पूजा स्थल को मंदिर कहा जा सकता है, मंदिर पूजा स्थान के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है।

हिन्दू पक्षकार के वकील के परासरन ने दलील रखते हुए कहा कि रामनवमी को भगवान रामजन्म दिन के तौर पर मनाया जाता है लेकिन भगवान राम के जन्मस्थान पर नहीं मनाया जाता, इसलिए जन्मभूमि पर मन्दिर बना कर रामनवमी को मनाना चाहिए। परासरन ने भगवत गीता के कुछ श्लोक को पढ़ते एक न्यायिक व्यक्ति के रूप में माने जाने वाले स्थान पर जोर दिया। परासरन ने कहा कि अगर लोगों को विश्वास है कि किसी जगह पर दैव्य शक्ति है तो इसमें न्यायिक व्यक्ति माना जा सकता है जिसका दिव्य अभिव्यक्ति से कोई अंतर न हो।

परासरन ने कुड्डालोर मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि कुड्डालोर मंदिर में भी कोई मूर्ति नहीं है और केवल एक दिया जलता है, जिसकी पूजा की जाती है। राजीव धवन ने परासरन की दलील पर टोकते हुए कहा कि इनके सभी उदाहरण में मंदिर था, यह एक मंदिर के रूप में बताया गया है। परासरन ने कहा कि लोगों के विश्वास के साथ पूजा स्थल को मंदिर कहा जा सकता है, मंदिर पूजा स्थान के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है। राजीव धवन ने कहा कि सिर्फ कुछ ट्रेवलर के आधार पर यह नही कहा जा सकता है वहा पर मंदिर था। हिंदूओं ने वहां पर पूजा इस स्थान से शुरू की। तब जस्टिस अशोक भूषण ने पूछा कि क्या वह ओर एक या दो न्यायिक व्यक्ति होंगे, भूमि और राम? तब परासरन ने कहा कि वह पर दो से ज़्यादा न्यायिक व्यक्ति होंगे। तब जस्टिस बोब्डे ने कहा कि इनमें से कुछ प्रमुख देवता होते हैं और कुछ अन्य भी होते हैं। परासरन ने कहा कि मंदिर में एक प्रमुख देवता होता है और अनेक रूपों में हमें उस देवता का पूजा करते हैं। हम कोर्ट को न्याय का मंदिर कहते हैं। हमारे पास कई जज हैं, लेकिन हम पूरे को एक संस्था कोर्ट कहते हैं । तब जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि हालांकि कई देवता हो सकते हैं, लेकिन न्यायाधिकारी व्यक्तित्व का श्रेय मंदिर के प्रमुख देवता को जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि साईं बाबा के जन्म स्थान को भी न्यायिक व्यक्ति माना जाता है? तब परासरन ने कहा कि हां साईं बाबा के जन्म स्थान को मद्रास हाईकोर्ट ने पहले ही न्यायिक व्यक्ति माना हुआ है। परासरन ने कहा कि देवताओं की मूर्तियां ही देवता का रूप नही है, ऐसा विश्वास है की देवता अपने आप को किसी भी रूप में प्रकट कर सकते है, शारीरिक या कथित किसी भी रूप में, परासरन ने दूसरे फैसलों के हवाले देते हुए कहा कि हिन्दू मन्दिर को न्यायिक व्यक्ति माना गया है। तब जस्टिस बोब्डे ने पूछा कि जन्मभूमि और जन्मस्थान में क्या अंतर है? परासरन ने कहा कि जन्मभूमि एक बड़ी ज़मीन है या यह राज्य की ज़मीन जहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था। जन्मस्थान का मतलब वह जगह जहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था।

परासरन के बाद रामलला विराजमान की तरफ से वकील सीएस वैधनाथन ने मुस्लिम पक्ष द्वारा की गई बहस पर एक नोट कोर्ट में दिया। वैद्यनाथन ने एएसआई की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद दो अधिकारियों की निगरानी में एएसआई ने खुदाई का काम किया था। इसलिए एएसआई की रिपोर्ट पर सवाल उठाना सही नहीं है। इतना ही नहीं किसी भी प्रत्यक्षदर्शी ने उस दौरान ईदगाह की बात नहीं कही थी।