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अयोध्या मामला : परंपरा से अलग शुक्रवार को भी सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर आज तीसरे रोज रामलला के वकील के. परासरन ने दिन भर अपनी दलीलें रखीं। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई और तेज गति से करने का फैसला लिया। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ हफ्ते में पांचों दिन (सोमवार से लेकर शुक्रवार तक) सुनवाई करेगी। आमतौर पर संविधान पीठ हफ्ते में सिर्फ तीन दिन ( मंगलवार, बुधवार और गुरुवार) सुनवाई करती है। अब उम्मीद बढ़ी है कि 17 नवंबर को रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल में ही फैसला आ सकता है।

वकील के. परासरन ने जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी श्लोक का हवाला देते हुए कहा कि जन्मभूमि बहुत महत्वपूर्ण होती है। राम जन्मस्थान का मतलब एक ऐसा स्थान जहां सभी की आस्था और विश्वास है। सुनवाई शुरू होते ही सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी रिट याचिका का कोर्ट में खड़े होकर ज़िक्र करना चाहा, लेकिन कोर्ट ने उन्हें रोक दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उचित समय आने पर उन्हें सुनेंगे। स्वामी ने याचिका में रामलला की पूजा-अर्चना के बिना रुकावट के मौलिक अधिकार की मांग की।

वकील परासरन ने कोर्ट को बताया कि इस मुकदमे में पक्षकार तब बनाया गया जब मजिस्ट्रेट ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 145 के तहत इनकी सम्पत्ति अटैच कर दी थी। इसके बाद सिविल कोर्ट ने वहां कुछ भी करने से रोक लगा दी। परासरन ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने रामजन्मभूमि को मुद्दई मानने से इनकार कर दिया था, इसलिए रामलला को पक्षकार बनना पड़ा। उन्होंने कहा कि क्योंकि रामलला नाबालिग हैं, इसलिए उनके दोस्त मुकदमा लड़ रहे हैं, पहले देवकीनंदन अग्रवाल ने ये मुकदमा लड़ा, अब मैं त्रिलोकीनाथ पांडेय लड़ रहे हैं।

परासरन ने कहा कि जब हम जन्मस्थान की बात करते हैं तो हम पूरी जगह के बारे में बात करते हैं, पूरी जगह राम जन्मस्थान है। जन्मस्थान को लेकर सटीक स्थान की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आसपास के क्षेत्रों में भी इसका मतलब हो सकता है। परासरन ने कहा कि हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों ही विवादित क्षेत्र को जन्मस्थान कहते है, इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है कि ये भगवान राम का जन्मस्थान है। सुप्रीम कोर्ट ने परासरन से पूछा कि क्या एक जन्मस्थान एक न्यायिक व्यक्ति हो सकता है? हम एक मूर्ति के एक न्यायिक व्यक्ति होने के बारे में समझते हैं, लेकिन एक जन्मस्थान पर कानून क्या है जिस तरह उत्तराखंड की हाई कोर्ट ने गंगा को व्यक्ति माना था और अधिकार दिया था।

परासरन ने जवाब दिया कि हां, रामजन्मभूमि व्यक्ति हो सकता है और रामलला भी,क्योंकि वो एक मूर्ति नहीं बल्कि एक देवता हैं। हम उन्हें सजीव मानते हैं। परासरन ने कहा कि ऋग्वेद के अनुसार सूर्य एक देवता हैं, सूर्य मूर्ति नहीं है, लेकिन वह सर्वकालिक देवता हैं इसलिए कह सकते हैं कि सूर्य एक न्यायिक व्यक्ति हैं।