भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में दखलअंदाजी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता और स्वतंत्रता का भरपूर सम्मान करती है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के संयुक्त फोरम ने गवर्नर उर्जित पटेल को पत्र लिखकर इसकी स्वायत्तता बचाने और केंद्र के दखल से बचने का अनुरोध किया था।
यूनियन ने तीन पूर्व गवर्नरों- मनमोहन सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री), बिमल जालान और वाईवी रेड्डी- की ओर से केंद्रीय बैंक की कार्यप्रणाली पर चिंता जाहिर करने के बाद मौजूदा गवर्नर को यह पत्र लिखा था। पूर्व डिप्टी गवर्नर उषा थोराट और केसी चक्रवर्ती ने भी आरबीआई में केंद्र सरकार की दखलअंदाजी पर नाराजगी जाहिर की थी। कर्मचारी यूनियन ने यह अपील नोटबंदी के मामले में आरबीआई की भूमिका की आलोचना के बाद की है। पत्र में कहा गया था कि सरकार द्वारा बड़े मूल्य वाले नोटों का चलन बंद करने के फैसले के बाद आरबीआई के कर्मचारियों ने अपने दायित्व बखूबी निभाए हैं।
कर्मचारी यूनियन ने आरबीआई गवर्नर को 13 जनवरी को लिखे पत्र में कहा था कि यह दुखद है कि नोटबंदी जैसी कठिन परिस्थिति से सफलतापूर्वक निपटने के बावजूद केंद्रीय बैंक की आलोचना हो रही है। पत्र में एक स्थानीय मीडिया के हवाले से कहा गया कि नकदी की व्यवस्था में समन्वय स्थापित करने के लिए वित्त मंत्रालय ने एक नौकरशाह को आरबीआई भेजा था।
अगर यह सच है तो फिर बड़े ही दुर्भाग्य की बात है और यूनियन सरकार द्वारा आरबीआई की स्वायत्तता में हस्तक्षेप पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करती है। यूनियन ने कहा कि केंद्रीय बैंक को अपना काम करने के लिए किसी की मदद की जरूरत नहीं है। सरकार नोटबंदी के दौरान आरबीआई के बेहतर प्रदर्शन को कमतर दिखाकर केंद्रीय बैंक के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण कर रही है।