देव श्रीवास्तव
लखीमपुर खीरी।
दुधवा का पर्यटन सत्र शुरू हो चुका है। वन जीव प्रेमियों के लिये दुधवा सैर कराने को तैयार है। इस बार तो दुधवा पार्क का पर्यटन सत्र सैलानियों के लिये दो बड़े रोमांचक चीजे लाने जा रहा है। जिसका सीधा लाभ सैलानियों को मिलेगा। एक तो गैंडा पुनर्वास परियोजना और दूसरा कर्नाटक के हाथियों का यहाँ आना। इस सत्र में इन दोनों बहुप्रतीक्षित कार्यों का होना लगभग तय माना जा रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही नेशनल पार्क के पर्यावरण पर्यटन क्षेत्र का शुभारंभ हुआ है। इसके बाद लगातार दो शिफ्ट में सैलानियों का हुजूम जंगल भ्रमण को रवाना हो रहा है। सैलानियों की संख्या बढ़ने की उमीद को देखते हुये। इस बार पार्क प्रशासन ने जंगल सफारी के समय में भी फेरबदल किया है। सुबह 6:30 बजे से 9:00 बजे तक और शाम की 3:00 बजे से 6 शाम बजे तक कर दिया है। साथ ही मौसम में बदलाव होने पर इस समय अवधि को परिवर्तित कर दिया जायेगा। इस बार तो सैलानियों को यह खास तोहफा भी मिलने जा रहा है। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार अन्य सालो की अपेक्षा इस बार ज्यादा सैलानी दुधवा की सैर करेंगे। सायलिंयो की सहूलत को देखते हुये। पार्क प्रशासन ने 10 टाटा जिनाएनो और 15 जिप्सी गाड़ियों की व्यस्था भी की है। ताकि सायलिंयो को दुधवा की सैर करने में कोई दिक्कत न हो सके। इतना ही नही दुधवा, सोठियान और किशनपुर में कुल 59 गाइड की व्यस्था की गई है। जिसमे 7 महिलाये भी शामिल है। ताकि कोई भी सैलानी बिना गाइड के दुधवा में प्रवेश न करे।
गैड़ा पुनर्वास योजना
वर्ष 1984 में दुधवा में गैडो को लाकर उन्हें यहां बसाने की जो योजना शुरू की गई थी। उसे गैंडा पुनर्वास योजना का नाम दिया गया था। शुरवात में गैड़ा की संख्या कम थी। लेकिन समय के साथं संख्या बढ़ती गई। और कई मुश्किलों के बावजूद आज यहां 35 के करीब गैंडे मौजूद है।