भगवान गणपति प्रथम पूज्य हैं। उन्हें गजानन भी कहा जाता है जिसका अर्थ है हाथी जैसे मुख वाला। गणेशजी का मुख हाथी जैसा क्यों है? इस संबंध में पौराणिक कथा आपने जरूर पढ़ी होगी। गणेशजी को हाथी का मस्तक लगाया गया लेकिन उनका पूर्व मस्तक कहां गया?
इसलिए जब शनिदेव ने गणेश का मुख देखा तो उनका मस्तक धड़ से अलग हो गया। माना जाता है कि वह मुख चंद्र मंडल में विलीन हो गया।
दूसरी कथा के अनुसार, जब देवी पार्वती स्नान कर रही थीं तब गणेशजी पहरा दे रहे थे। उसी दौरान शिवजी का आगमन हुआ। गणेशजी ने शिवजी को अंदर जाने से रोक दिया। क्रुद्ध होकर शिवजी ने गणेश का मस्तक काट दिया जो बाद में चंद्रलोक चला गया।