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मेरे पास ताकत नहीं इसलिए टाइमिंग पर करता हूं भरोसा: रोहित

श्री लंका के खिलाफ खेले गए दूसरे टी20 मुकाबले में महज 35 बॉल में अपना शतक पूरा करने वाले बल्लेबाज रोहित शर्मा ने अपने गगनचुंबी छक्के जड़ने का राज खोला है। रोहित ने कहा कि उनके पास ज्यादा ताकत नहीं है, इसलिए वह छक्के जड़ने के लिए पावर से ज्यादा अपनी टाइमिंग पर भरोसा करते हैं। रोहित शर्मा ने इस मैच में टी20 इंटरनैशनल में सबसे तेज शतक के रेकॉर्ड की बराबरी की। रोहित से पहले डेविड मिलर ने इतनी ही बॉल में शतक जड़ा था। इस मैच में 43 बॉल पर 118 रन की तूफानी पारी खेलने वाले रोहित की बदौलत टीम इंडिया ने दूसरे टी20 मुकाबले में मेहमान टीम को 88 रनों से मात दी।

 मैच खत्म होने के बाद रोहित ने कहा, ‘निश्चिततौर से मेरे पास बहुत ज्यादा ताकत नहीं है। इसलिए छक्का मारते समय मैं किसी और चीज की बजाए बॉल को सही टाइमिंग करने में ज्यादा भरोसा करता हूं। मैं अच्छे से जानता हूं कि मेरी ताकत और मेरी कमियां क्या हैं। ईमानदारी से कहूं, तो मैं फील्ड के हिसाब से खेलने की कोशिश करता हूं।’ 
आज मॉर्डन डे क्रिकेट में जिस तरह रनों की रफ्तार बढ़ी है उसमें क्रिस गेल, एबी डिविलियर्स, डेविड मिलर सरीखे कई दिग्गज बल्लेबाज ताकत का इस्तेमाल करते नजर आते हैं वहीं रोहित अपनी टाइमिंग के बूते छक्के जड़ते दिखाई देते हैं। जब रोहित से पूछा गया, ‘अपनी पारी के दौरान लंबे शॉट्स खेलने के लिए वह क्या तकनीक अपनाते हैं?’ इस पर रोहित ने अपनी रणनीति का खुलासा करता हुए कहा, ‘फील्ड 6 ओवर के बाद ही फैलती है। मैं यह देखता हूं कि मुझे कहां-कहां बाउंड्री मिल सकती है। फील्ड के अनुसार बल्लेबाजी करना बहुत जरूरी होता है। मैं किसी एक खास क्षेत्र पर भरोसा करने के बजाए, पूरे मैदान पर रन बटोरना चाहता हूं। सभी फॉर्मेट में मैं ऐसा ही करने का प्रयास करता हूं।’ 

रोहित ने कहा, ‘आप किसी एक क्षेत्र पर भरोसा नहीं कर सकते। ऐसा करने से आप विरोधी टीम के सामने एक्सपोज हो जाते हैं और फिर टीम आपको घेर लेती है। यह हमेश महत्वपूर्ण होता है कि आप पूरे मैदान में खेलकर रन बटोरे और यही मेरी ताकत है।’ 

शुक्रवार को जिस अंदाज में रोहित खेल रहे थे, तब एक समय लग रहा था कि वह टी20 में भी दोहरा शतक पूरा कर लेंगे। इसके बारे में पूछने पर रोहित ने कहा, ‘मेरे दिमाग में दोहरा शतक जड़ने जैसी कोई चीज नहीं थी। मैं बस रन बटोरने की सोच रहा था। मैं किसी भी फॉर्मेट में कभी भी कोई टारगेट लेकर नहीं उतरता हूं। मैं कभी भी कोई खास टारगेट लेकर मैदान पर नहीं जाता कि जैसे मुझे कोई खास माइलस्टोन छूना हो। मेरा काम मैदान में जाकर अपनी टीम के लिए उपयोगी रन बनाना है न कि वहां जाकर 100, 200 या 300 रन बनाना। मैं बैटिंग पर जाता हूं और कोशिश करता हूं कि अपनी टीम को अच्छी स्थिति में ला सकूं।