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चिकनगुनिया की जकड में शहरवासी, रोज बढ़ रहे है मरीज

टोंक: चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जिले में बेकाबू हुए चिकनगुनिया पर अंकुश नहीं लगा पा रहा।जिले में चिकनगुनिया के रोगयों का आंकड़ा दिनोंदिन बढ़ रहा है। शहर के हालात भी अधिक अच्छे नहीं है।प्रत्येक गली-मोहल्ले में रहने वाले रोगियों में हाथ-पैर के जोड़ में आए जकडऩ के बाद चिकित्सक उसे चिकनगुनिया का रोगी मानकर ही उपचार कर रहे हैं। इसके विपरीत चिकित्सा विभाग यह मानकर सुस्त है कि ठण्ड बढऩे के साथ चिकनगुनिया व डेंगू आदि रोगों पर अंकुश लग जाएगा।

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  चौंकाने वाली बात है कि चिकनगुनिया के आ रहे रोगियों में शहर में रहने वाले लोग अधिक हैं।हालात यह है कि बड़ाकुआं, तख्ता, पुरानी टोंक के सभी गली-मोहल्लों में चिकनगुनिया के रोगी मिल रहे हैं। तख्ता क्षेत्र में रहने वाले नरेन्द्र जैन का कहना है कि तीन दिन से नियमित बुखार आ रहा था। इसके बाद पैरों के घुटने व हाथों की कोहनिया दर्द के बीच जाम सी हो गई। इस पर परिजनों ने उसे सआदत अस्पताल में भर्ती कराया है। आदर्श नगर निवासी हेमा विजयवर्गीय का कहना है कि मोहल्ले के घर-घर में चिकनगुनिया से लोग ग्रसित हैं। इसके बावजूद विभागीय अधिकारी बेखबर है। इससे जाहिर है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। सआदत अस्पताल आ रहे रोगियों मेंभी अधिकतर मरीजों की जांच में चिकनगुनिया के लक्षण सामने आ रहे हैं।चिकित्साकर्मियों का कहना है कि प्रतिदिन करीब दर्जनभर रोगी चिकनगुनिया से पीडि़त होकर अस्पताल की शरण ले रहे हैं।इधर,उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भूषण सालोदिया का कहना है कि यह एक वायरल है। इसमें घबराने जैसी बात नहीं है।

घटने के स्थान पर बढ़ रहा

पिछले साल जिले में चिकनगुनिया से पीडि़त रोगियों की संख्या नगण्य थी। जबकि इस वर्ष एक जनवरी से 25 अक्टूबर के बीच 91 रोगियों मेंं डेंगू, 53 में मलेरिया, 11 रोगियोंं की जांच में स्क्रब टायफस की पुष्टि हुई है।इसी प्रकार दो दर्जन रोगियों में चिकनगुनिया की पुष्टि हो चुकी है। इसके बावजूद चिकित्सा विभाग ध्यान नहीं दे रहा है।

बाहर जांच कराने पर विवश

चिकनगुनिया की जांच सुविधा सरकारी अस्पताल में नहीं है। ऐसे में मरीज निजी लैबों में जांच कराने पहुंच रहे हैं। जहां मरीजों से मनमानी राशि वसूलने से उनकी जेब भी ढीली हो रही है। चिकित्सकों का भी मानना है कि जिला अस्पताल में तो कम से कम चिकनगुनिया की जांच सुविधा होना आवश्यक है। जिससे कि मरीजों को निजी दुकानों पर पहुंचकर मनमानी राशि नहीं देनी पड़े, लेकिन यह जांच नहीं होने से परेशानी है।

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