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कोतवाल साहब बेख़बर,कोतवाली में महिलाओं ने काटा बवाल

देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।
खाकी को देखकर बड़े-बड़े बदमाशों के पसीने छूट जाते है, रौबदार लोग बेरौबदार हो जाते है। मजलूमों को खाकी में अपना रखवाला दिखाई देता है। ऐसे में अगर इन्हीं खाकीदारियों के बीच किसी की पिटाई हो जाए, तो उसे इत्तफाक नहीं समझा जा सकता। जी हां कुछ ऐसा ही हुआ है सदर कोतवाली में, जहां न्याय मांगनी आई एक महिला को विपक्षी महिलाओं ने पीट दिया। न्याय के मंदिर में हुई यह घटना सदर कोतवाल की कार्यशैली पर सवालियां निशान लगाती है।

 महिलाओं ने महिलाओं को कोतवाली में पीटा

महिला की पिटाई का मामला सदर कोतवाली का है। जहां आपसी विवाद को लेकर दो पक्ष न्याय मांगने के लिए कोतवाली पहुंचे थे, पर उनकी वहां सुनने वाला कोई नहीं था। दोनों एक-दूसरे को भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए कोतवाली में पहुंची। इन महिलाओं की तू-तू-मैं-मैं जब सिपाहियों के कान में पहुंची, तो उन्होंने पहले तो दोनों को बाहर का रास्ता दिखाने का प्रयास किया। महिलाएं नहीं मानीं और उन्हें लगा कि इस न्याय के मंदिर में उन्हें न्याय नहीं मिलेगा और उन्होंने खुद ही मामला सुलझाने की ठान ली। फिर क्या था देखते ही देखते दोनों पक्षों की महिलाएं कोतवाली के भीतर ही हाथापाई पर उतर आईं। इसके बावजूद महज दो पुरूष सिपाही बीच-बचाव करते दिखे। इस घटना के दौरान महिलाओं सिपाहियों की मौजूदगी तक नजर नहीं आईं। शायद यह मामला कोतवाली में हो रहे अन्य मामलों या घटनाओं की तरह दबा दिया जाता है परंतु वहां मौजूद एक शख्स ने इसे अपने मोबाइल में कैद कर लिया। यह वीडियो जब पत्रकार तक पहुंचा, तो उसने मामले को पूरी तरह से जानने का प्रयास किया लेकिन यहां भी मामला छुपाने में माहिर सदर कोतवाल व उनकी टीम ने इस मामले में भी पत्रकार को भी सही जवाब नहीं दिए। हालांकि मामला चाहें जो हो परंतु कोतवाली में हुई इस हाथापाई ने एक बात तो साफ कर दी कि खाकीधारियों के बीच भी लोग सुरक्षित नहीं है।

कोतवाल साहब मामले से बेख़बर

इस मामले को लेकर जब सदर कोतवाल दीपक शुक्ला से बात की गई तो उनका बयान भी बेहद ही चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में ही नहीं हैं। ऐसे में यह सवाल भी उठना लाजमी है,कि जब कोतवाली परिसर में हुई मारपीट के बारे में कोतवाल साहब जानकारी नहीं रखते, तो कोतवाली क्षेत्र की निगेहबानी उनसे किस तरह हो सकती है।