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आज भी इंसाफ की राह देख रहा नेपाल में हेमराज का परिवार

बहुचर्चित आरुषि-हेमराज मर्डर केस में हाईकोर्ट से बरी डॉ. राजेश और नूपुर तलवार जेल से रिहा होकर अपने घर पहुंच चुके हैं. लेकिन एक सवाल बार-बार लोगों के जेहन में कौंध रहा है कि आखिर आरुषि और हेमराज का कत्ल किसने किया है. नेपाल के रहने वाले हेमराज का परिवार आज भी इंसाफ की राह देख रहा है. वह जानना चाह रहा है कि इस वारदात को किसने अंजाम दिया है. इस केस की जांच की शुरूआत में हेमराज को ही मुख्य संदिग्ध माना गया था.

नेपाल के एक गांव में रहने वाले हेमराज बन्जादे के परिवार में एक बुढ़ी बीमार मां, विधवा पत्नी और 18 साल का बेटा है. एक बेटी की शादी हो चुकी है. यदि हेमराज आज जिंदा होता, तो वह अपने पोती को देख पाता. वह परिवार में इकलौता कमाने वाला था. तलवार दंपति के घर रहकर जो कुछ पाता उसी से पूरे परिवार का गुजारा होता था. अब उसके नहीं रहने के बाद बहुत मुश्किल से परिवार का जीवन यापन हो पा रहा है. मां की हालत तो बहुत ही खराब है.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, मूल प्रवाह अखिल भारत नेपाल एकता समाज के सदस्य ठाकुर खनल ने बताया कि 16 मई, 2008 को आरुषि-हेमराज मर्डर केस की सूचना आने के बाद पूरे इलाके लोग स्तब्ध थे. परिवार का बुरा हाल था. गांव और आसपास के लोगों ने मिलकर एक लाख रुपये जमा किया और हेमराज के परिवार को दे दिया. लेकिन आज 9 साल बीत गए हैं. परिवार की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ और न ही उन्हें न्याय मिला.

राजकुमार और कृष्णा भी चर्चा में आए   

ठाकुर खनल ने कहा कि तलवार दंपति के इस केस से बरी हो जाने के बाद कुछ मीडिया हाउस नेपाल के ही रहने वाले राजकुमार और कृष्णा थापा को संदेह के घेरे में लेने की कोशिश कर रहे हैं. यदि वे दोनों दोषी होते तो जांच टीम उनके खिलाफ चार्जशीट जरूर फाइल करती. पॉलीग्राफी टेस्ट में भी उनके खिलाफ कुछ नहीं निकला है. ऐसे में मीडिया को राजकुमार और कृष्णा का नाम इस केस में नहीं घसीटना चाहिए. उन दोनों को सुकून से जीने देना चाहिए.

हेमराज पर था आरुषि के कत्ल का शक

बताते चलें कि इस वारदात में सबसे पहले आरुषि के शव को देखा गया था. इसके बाद लोगों को लगा था कि हेमराज ने आरुषि की हत्या की और फरार हो गया. लेकिन दो दिन बाद जब उसी घर की छत पर हेमराज का शव मिला, तो इस हत्याकांड का रहस्य गहराता चला गया. यूपी पुलिस की जांच टीम ने बाद में आरुषि के माता-पिता डॉ. राजेश तलवार और नूपुर तलवार को दोषी ठहराया. कुछ दिन बाद इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी गई.

हाईकोर्ट ने सीबीआई थ्योरी को नकारा

सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में बताया था कि तलवार दंपति ने ही इस वारदात को अंजाम दिया है. सीबीआई की थ्योरी थी कि आरुषि और हेमराज शारीरिक संबंध बना रहे थे. उसी वक्त राजेश तलवार देख लिया और उसकी हत्या कर दी. सीबीआई की इस दलील को लोअर कोर्ट ने मान कर उम्रकैद की सजा दे दी. लेकिन हाईकोर्ट में सारा मामला उल्टा पड़ गया. कोर्ट का कहना था कि फोरेंसिक साइंस में व्यक्तिगत नतीजों की जगह नहीं होती है.

पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर का खुलासा

पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. नरेश राज ने बताया कि उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट एक सीबीआई अफसर की थ्योरी से प्रभावित थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में गवाही के दौरान उन्होंने बताया था कि सीबीआई अफसर की थ्योरी को अपने वैवाहिक अनुभव से जोड़ा और पाया कि हेमराज और आरुषि के बीच शारीरिक संबंध की प्रक्रिया हो रही थी. सीबीआई टीम के अफसर एजीएल कौल ने उनसे कहा था कि हेमराज और आरुषि शारीरिक संबंध बनाने जा रहे थे.