आईसीसी और बीसीसीआई के बीच लगातार मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। आईसीसी ने भारत के खिलाफ ऐसा निर्णय दिया है जिसके कारण भारत विरोध स्वरूप अगले साल इंग्लैंड में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी से नाम वापस ले सकता है। आईसीसी ने साल 2016 में पाकिस्तान के द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलने की सजा टीम इंडिया को दी है। सीरीज नहीं खेलने के कारण आसीसीसी ने टीम इंडिया के 6 रेटिंग अंक काट लिए हैं जिसका असर उसकी रैंकिंग पर पड़ा है। इस निर्णय के कारण अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली बीसीसीआई और शशांक मनोहर की अध्यक्षता वाली आईसीसी के बीच संबंधों में और अधिक कड़वहट आ गई है। इससे पहले लोढ़ा कमेटी और अन्य मुद्दों पर दोनों के बीच खींचतान हो रही है। यह एक विज्ञापन हैं , अगली स्लाइड देखने के लिए क्लिक करेंमामला यह है कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम को तय कार्यक्रम के अनुसार इसी साल 1 अगस्त से 31 अक्टूबर तक द्विपक्षीय सीरीज खेलनी थी। लेकिन भारतीय टीम ने सीरीज खेलने से इंकार कर दिया था। इसके कारण उसके 6 अंक काट लिए गए। महिला क्रिकेटरों को नियमों का हवाला देकर ‘आसान निशाना’ बनाये जाने के विरोध में संभावना है कि भारत की पुरूष टीम अगले साल इंग्लैंड में होने वाली चैंपियन्स ट्रॉफी में नहीं खेले। आईसीसी के रवैये से बीसीसीआई नाराज है और और उसने आईसीसी के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया जो इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी सीरीज के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यक्ता होती है। आईसीसी के चेयरमैन इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं। बीसीसीआई के एक अधिकारी का कहना है कि गुप्त मकसद से उठाया गया यह कदम पाकिस्तान के हाथों में खेलने की कोशिश है। इसके बाद वो कहेंगे कि यदि दोनों देशों की महिला क्रिकेट टीमें आपस में खेल सकती हैं तो पुरूष टीम क्यों नहीं। यदि आईसीसी ने अपना फैसला नहीं बदला तो हमारी पुरूष टीम भी महिला टीम के साथ है और वे चैंपियन्स ट्रॉफी में नहीं खेलेगी। यह एक विज्ञापन हैं , अगली स्लाइड देखने के लिए क्लिक करें